लखनऊ नगर निगम की “महकती” सेवाएं: स्वच्छ भारत मिशन के नीचे दबा कूड़ा
Garbage Crisis in Lucknow: Streets Overflowing Despite Swachh Bharat Mission

लखनऊ, जो नवाबों की नगरी के नाम से मशहूर है, इन दिनों कूड़े के ढेरों से अपनी “शान” दिखा रहा है। शहर के जोन 4 में सड़कों के किनारे सड़ा-गला कूड़ा, बदबू और मृत पशुओं के अवशेष इस इलाके की “विशेषता” बन गए हैं। मटियारी से कोल्ड स्टोरेज शाहपुर गांव की ओर जाने वाली सड़क को अब अनधिकृत “कूड़ा डंपिंग यार्ड” घोषित किया जा सकता है।
जिम्मेदारी किसकी है?
अगर जिम्मेदारी ढूंढ़ने निकलें तो लखनऊ नगर निगम, स्वच्छ भारत मिशन, और संबंधित अधिकारियों के बीच “पढ़ा-लिखा” खेल नजर आता है। डोर टू डोर कूड़ा उठान व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है। सवाल उठता है कि जब राष्ट्रीय राजमार्ग से मात्र 150 मीटर की दूरी पर यह कूड़ा नगरी स्थित है, तो क्या नगर निगम को इस बदबूदार सच्चाई की जानकारी नहीं है?
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VIP ड्यूटी में व्यस्त अधिकारी
जो जिम्मेदार अधिकारी, जैसे ज़ोनल अधिकारी पंकज शुक्ला, स्वच्छता की बजाय VIP ड्यूटी में व्यस्त हैं, उनसे स्वच्छता की उम्मीद करना थोड़ी ज्यादा मांग हो गई। वहीं स्वच्छ भारत मिशन की संयुक्त निदेशक, रूपा मिश्रा, भी शायद कूड़े की इस “कला” को अनदेखा करना पसंद करती हैं।
कैसे होगा स्वच्छ लखनऊ?
लोगों को जागरूक करने के विज्ञापन तो रोज अखबारों और होर्डिंग्स पर नजर आते हैं, लेकिन सड़कों पर फैला यह कूड़ा जागरूकता की पोल खोल देता है।
समाधान का सुझाव:
शायद नगर निगम को “महकते” पर्यटन का नया मॉडल विकसित करना चाहिए। कूड़े के ढेरों पर VIP कटीबद्ध रिबन लगा दें और इसे “लखनऊ की गंधमयी विरासत” का हिस्सा घोषित कर दें।
शहरवासियों का सवाल तो बस इतना है – स्वच्छ लखनऊ का सपना कब हकीकत बनेगा?