भ्रष्टाचार का फुटपाथ: अभियंत्रण विभाग का एक ऐतिहासिक पुनर्निर्माण गाथा
Lucknow Municipal Corporation's ₹5 Lakh Footpath Scandal Exposed!
कैंट रोड पर ओडियन सिनेमा के पास का “सही-सलामत” फुटपाथ अचानक से लखनऊ नगर निगम की खास नजर में आ गया। “और सही” बनाने के मिशन पर निकले अभियंत्रण विभाग ने ठान लिया था कि ₹5,00,000 की अद्वितीय योजना से इस फुटपाथ को ऐतिहासिक बना दिया जाएगा। न टेंडर, न फाइल, न कोई दस्तावेज़—यह काम सीधे “भरोसे” पर हो रहा था। आखिरकार, सरकारी पैसा उड़ाने में कागजी झंझट कौन चाहता है?
महापौर सुषमा खर्कवाल को जैसे ही इस क्रांति की भनक लगी, वह मौके पर जा धमकीं। दृश्य देखते ही क्षेत्रीय पार्षद ने तुरंत “पार्षद की पाठशाला” का सबसे कारगर पाठ पढ़ा—”मासूमियत का नाटक।” बोले, “अरे महापौर जी, ये काम तो मेरा पर्सनल है, सरकारी नहीं।” यानी महापौर के आने से पहले तक यह ₹5 लाख का सरकारी काम था, और उनके आते ही यह एक भावनात्मक पारिवारिक योजना बन गया।
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वहीं, अभियंत्रण विभाग के प्रभारी अधिशासी अभियंता किशोरी लाल, जो “बड़ों की छत्रछाया” में हैं, पर कार्रवाई का विचार करना वैसा ही है जैसे चंद्रमा पर मटर की खेती की योजना बनाना। जूनियर इंजीनियर साहब का तो बस एक ही धर्म है—कमीशन भक्ति। जनता? वह तो केवल उस फुटपाथ पर चलने के लिए बनी है, सवाल पूछने के लिए नहीं।
महापौर ने नोटिस जारी किया है, लेकिन यह नोटिस भी शायद उसी “सही” फुटपाथ जैसा होगा—पहले तोड़ा जाएगा, फिर नए खर्च पर दोबारा बनाया जाएगा। आखिर, भ्रष्टाचार का फुटपाथ हर बार नया दिखना चाहिए!