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सनातन धर्म में 51 शक्ति पीठ: शक्तिपीठों की स्थापना कब हुई, इनका धार्मिक महत्व क्या है और ये कहाँ स्थित हैं ?

51 Shakti Peethas of Sanatan Dharma: Locations, Significance, and Establishment History

सनातन धर्म में शक्ति पीठों का अत्यधिक धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व है। इन शक्ति पीठों का वर्णन पुराणों और विभिन्न ग्रंथों में किया गया है, जिनमें देवी सती के अंगों और आभूषणों के गिरने से ये शक्तिपीठ बने। देवी सती की शक्ति को श्रद्धा और भक्ति से समर्पित ये स्थल दुनिया भर के सनातन धर्मावलंबियों के लिए तीर्थ यात्रा के रूप में महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

शक्ति पीठ क्या हैं?

शक्ति पीठ वह स्थान हैं जहाँ देवी सती के शरीर के अंग या आभूषण गिरे थे। सनातन धर्म के अनुसार, कुल 51 शक्ति पीठ हैं, जो भारत, नेपाल, पाकिस्तान और बांग्लादेश सहित पूरे दक्षिण एशिया में फैले हुए हैं। इन शक्ति पीठों को देवी शक्ति का निवास स्थान माना जाता है, जो हर भक्त के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रमुख स्रोत होते हैं।

चार प्रमुख शक्ति पीठ:

शक्ति पीठों की सूची में चार प्रमुख शक्ति पीठ विशेष महत्व रखते हैं। इन्हें आदि शक्ति पीठ भी कहा जाता है और ये हैं:

  1. कामाख्या देवी शक्ति पीठ (गुवाहाटी, असम)
  2. कालिका देवी शक्ति पीठ (कोलकाता, पश्चिम बंगाल)
  3. वैष्णो देवी शक्ति पीठ (कटरा, जम्मू और कश्मीर)
  4. चामुंडा देवी शक्ति पीठ (हिमाचल प्रदेश)

इन प्रमुख शक्ति पीठों का महत्व इसलिए अधिक है क्योंकि ये शक्ति और भक्ति के आद्य केंद्र माने जाते हैं।

51 शक्ति पीठों की स्थापना कब और किसके द्वारा हुई?

देवी सती और भगवान शिव की पौराणिक कथा से शक्ति पीठों की उत्पत्ति का संबंध है। मान्यता है कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष द्वारा भगवान शिव का अपमान सहन न कर पाने के कारण यज्ञ अग्नि में अपने प्राण त्याग दिए, तब भगवान शिव ने उनके मृत शरीर को लेकर तांडव किया। इस क्रोध को शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 टुकड़ों में विभाजित कर दिया, जो विभिन्न स्थानों पर गिरे और वही स्थल शक्ति पीठ बन गए।

51 शक्ति पीठों के नाम और उनके स्थान

·  कामाख्या देवी – गुवाहाटी, असम  ·  त्रिपुरा सुंदरी – उदयपुर, त्रिपुरा  ·  सूर्यपर्वत देवी – उड़ीसा  ·  चामुंडा देवी – चामुंडा हिल्स, मैसूर  ·  महालक्ष्मी देवी – कोल्हापुर, महाराष्ट्र  ·  महाकाली देवी – उज्जैन, मध्य प्रदेश  ·  विशालाक्षी देवी – वाराणसी, उत्तर प्रदेश  ·  भीमाशंकर देवी – भीमाशंकर, महाराष्ट्र  ·  ज्वालामुखी देवी – कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश  ·  कालीघाट देवी – कोलकाता, पश्चिम बंगाल  ·  चिन्तपूर्णी देवी – ऊना, हिमाचल प्रदेश  ·  कामाख्या देवी – कामरूप, असम  ·  मानसा देवी – हरिद्वार, उत्तराखंड  ·  विंध्यवासिनी देवी – मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश  ·  श्रीशैलम देवी – आंध्र प्रदेश  ·  जयन्ती देवी – जयन्तीपुर, ओडिशा  ·  अम्बाजी देवी – गुजरात  ·  कांची कामाक्षी – कांचीपुरम, तमिलनाडु  ·  सारदा देवी – मैहर, मध्य प्रदेश  ·  तारा तारिणी देवी – ब्रह्मपुर, ओडिशा  ·  कांची कामाक्षी – कांचीपुरम, तमिलनाडु  ·  श्री परनाश्विनी देवी – मेघालय  ·  विजया देवी – बिहार  ·  पटनेश्वरी देवी – झारखंड  ·  भागवत देवी – बैजनाथ, हिमाचल प्रदेश  ·  अत्तहास देवी – बर्दवान, पश्चिम बंगाल  ·  आदीशक्ति देवी – अजमेर, राजस्थान  ·  विभाषा देवी – ओडिशा  ·  महाशक्ति देवी – दक्षिणेश्वर, पश्चिम बंगाल  ·  हरसिद्धि देवी – उज्जैन, मध्य प्रदेश  ·  योगिनी देवी – हिंगुलाज, पाकिस्तान  ·  करवीर देवी – कोल्हापुर, महाराष्ट्र  ·  सती देवी – चंद्रनाथ, बांग्लादेश  ·  भ्रामरी देवी – बर्मा (म्यांमार)  ·  महिषमर्दिनी देवी – बिहार  ·  कपलनी देवी – बंगाल  ·  गुह्येश्वरी देवी – काठमांडू, नेपाल  ·  नारायणी देवी – बिहार  ·  सरस्वती देवी – श्रीनगर, जम्मू और कश्मीर  ·  मानसा देवी – पंचकुला, हरियाणा  ·  श्री लक्ष्मी देवी – वेंकटाचल, आंध्र प्रदेश  ·  उज्जयिनी देवी – उज्जैन, मध्य प्रदेश  ·  तारिणी देवी – ओडिशा  ·  सतीकुंड देवी – मुंगेर, बिहार  ·  हरिसिद्धि देवी – नेपाल  ·  चंडिका देवी – गढ़वाल, उत्तराखंड  ·  गायत्री देवी – पुष्कर, राजस्थान  ·  अन्नपूर्णा देवी – वाराणसी, उत्तर प्रदेश  ·  मंगलचण्डिका देवी – गुजरात  ·  मुक्तेश्वरी देवी – बांग्लादेश  ·  वैरागिनी देवी – नेपाल

शक्ति पीठों का महत्व:

शक्ति पीठों का सनातन धर्मावलंबियों के लिए अत्यधिक महत्व है। यह स्थल न केवल धार्मिक आस्था और आध्यात्मिक उन्नति के केंद्र हैं, बल्कि यहाँ भक्त अपनी समस्याओं और दुखों से मुक्ति पाने के लिए आते हैं। इन स्थानों पर देवी सती की शक्ति की उपासना की जाती है, जिससे भक्तों को मनोकामना पूर्ति और शक्ति प्राप्त होती है। शक्ति पीठों की यात्रा को मोक्ष प्राप्ति के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।

शक्ति पीठों का सनातन धर्म के विकास में योगदान:

शक्ति पीठों का सनातन धर्म के विकास में अहम योगदान है। ये स्थल प्राचीन काल से ही धार्मिक चेतना के केंद्र रहे हैं और यहाँ नियमित रूप से धार्मिक अनुष्ठान, पूजा, और भक्ति का आयोजन किया जाता है। शक्ति पीठ न केवल धार्मिक पर्यटन का केंद्र हैं, बल्कि ये स्थलों के आसपास की सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना को भी प्रभावित करते हैं। यह क्षेत्र धार्मिक उत्सवों और मेलों के कारण सामाजिक जुड़ाव और धार्मिक संस्कृति के विकास के केंद्र बने रहते हैं।

शक्ति पीठ सनातन धर्म में अनंत शक्ति और भक्ति का प्रतीक हैं। ये स्थल न केवल आध्यात्मिक उन्नति के लिए बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक विकास के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। प्रत्येक शक्ति पीठ एक कथा और इतिहास से जुड़ा हुआ है, जो सनातन धर्म की अनूठी परंपरा और धार्मिक विश्वास को दर्शाता है। इन शक्ति पीठों की यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि आध्यात्मिक शांति और शक्ति प्राप्त करने का एक सशक्त साधन है।

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