जानिए साल 2023 में कब से शुरू हो रही कावड़ यात्रा, क्या है इसका महत्व

भारत धर्म और धार्मिक स्थलों का एक पवित्र संगम है। भारतीय संस्कृति और परंपरा की मुरीद तो पूरी दुनिया है, विदेशी लोग सिर्फ भारत में भ्रमण करते है ताकि वे यहां की संस्कृति को अपना सके और आज के समय विदेशी लोग ऐसा कर भी रहें है। एक सर्वे के अनुसार हिन्दू धर्म में सबसे अधिक लोग शिव जी को अपना ईष्ट देव मानते है इसी लिए शिव को धर्म की जड़ कहा जाता है, जिसकी उपासना खुद देवी देवता करते है । शिव से ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष है।
देवों के देव महादेव कहलाने वाले, इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि कई नामों से जाना जाता है। यूँ तो सोमवार भोलेनाथ का खास दिन होता है। लेकिन सावन महीने और सावन के सोमवार का एक खास महत्व है जिसे ‘श्रावण मास’ भी कहा जाता है इस दौरान कई लोग हर सोमवार व्रत भी रखते है। सावन की तैयारी और उत्साह कुछ ऐसे होती है की इस दौरान कावड़ यात्रा निकाली जाती है।
कावड़ यात्रा भगवान शिव को समर्पित यात्रा है जिसे श्रावण मास में निकला जाता है, इस यात्रा में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं को कावड़िया कहा जाता है। इस दौरान भगवान शिव के भक्त अपने कांवड़ में गंगोत्री, गौमुख और हरिद्वार में पवित्र गंगा का जल भरते हैं और उसे अपने मूल स्थान पर लाते हैं। फिर वे इस जल को भगवान शिव को अर्पित करते हैं और उनका जलाभिषेक करते हैं। वैसे तो पौराणिक कथाओं के अनुसार गंगाजल केवल स्वयंभू शिवलिंगों या 12 ज्योतिर्लिंगों को ही चढ़ाया जा सकता है। लेकिन आज के बदलते दौर में चलन बदलता जा रहा है, लोग अपने घरों में पुज्य्नीय शिवलिंगों पर अर्पित करते है। इस यात्रा में भारत के विभिन्न राज्यों खास कर पश्चिम उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा से श्रद्धालु हिस्सा लेते है और हरिद्वार और गोमुख से अपनी तीर्थ यात्रा शुरू करते है। यात्रा के लिए कावड़िए सैकड़ों मील चलकर गंगा नदी से जाकर एक पात्र में जल भर कर लाते हैं। कहते है की जो लोग ज्योतिर्लिंगों पर जल अर्पित नहीं कर पाते वो अपने घर के पास की शिवलिंग पर जल अर्पित कर अपनी यात्रा को संपन्न करते है।
कुछ भक्त कावड़ यात्रा माघ मास यानि जनवरी से फ़रवरी माह के बीच भी निकालते है माघ के महीने में महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है यह त्यौहार शिवभक्तों के लिए बहुत बड़ा पर्व माना जाता है। इस साल कावड़ यात्रा 4 जुलाई से होकर 16 जुलाई को ख़त्म होने वाली है। इसे सावन की शिवरात्रि के दौरान किया जाएगा। हलाकि माघ माह में मनाई जाने वाली महाशिवरात्रि के अवसर पर कावड़ यात्रा चल रही है।