विश्वकर्मा पूजा 2024: पूजा की विधि, सामग्री और महत्व
Vishwakarma Puja 2024: Rituals, Materials, and Significance
विश्वकर्मा पूजा हिंदू धर्म में भगवान विश्वकर्मा की पूजा के रूप में मनाई जाती है, जिन्हें सृष्टि के प्रमुख वास्तुकार और शिल्पकार के रूप में माना जाता है। वह सभी यंत्रों, औजारों और मशीनों के देवता हैं। यह पूजा खासतौर पर कारीगरों, इंजीनियरों, शिल्पकारों, कलाकारों और औद्योगिक कार्यों में जुड़े लोगों द्वारा की जाती है, ताकि वे अपने औजारों और कामकाजी उपकरणों की सफलता और सुरक्षा के लिए भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।
विश्वकर्मा पूजा क्यों मनाई जाती है?
विश्वकर्मा पूजा भगवान विश्वकर्मा के प्रति सम्मान और कृतज्ञता प्रकट करने के लिए मनाई जाती है। उन्हें सृष्टि के निर्माता, देवताओं के शिल्पकार, और निर्माण कार्यों के देवता के रूप में माना जाता है। यह पूजा विशेष रूप से उन लोगों के बीच लोकप्रिय है जो किसी न किसी रूप में निर्माण, इंजीनियरिंग या शिल्पकारी से जुड़े होते हैं। पूजा के दौरान भगवान विश्वकर्मा से व्यवसायिक उन्नति, सुरक्षा, और समृद्धि की कामना की जाती है।
विश्वकर्मा पूजा की सही विधि और विधान
- स्वच्छता: पूजा स्थल को अच्छे से साफ किया जाता है। आमतौर पर यह पूजा कार्यशालाओं, फैक्ट्रियों, दुकानों या घरों में की जाती है।
- व्रत और संकल्प: भक्त विस्वकर्मा पूजा के दिन उपवास रखते हैं और भगवान से पूजा की सफलता और आशीर्वाद के लिए संकल्प करते हैं।
- पूजा सामग्री की व्यवस्था: भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या चित्र स्थापित किया जाता है, और औजारों, मशीनों, और यंत्रों को उनके सामने रखा जाता है।
- हवन और मंत्रोच्चार: पूजा के दौरान भगवान विश्वकर्मा के मंत्रों का उच्चारण किया जाता है, और हवन (अग्नि यज्ञ) किया जाता है।
- औजारों का आशीर्वाद: पूजा के अंत में सभी औजारों, मशीनों और यंत्रों को पूजा के माध्यम से आशीर्वादित किया जाता है।
- प्रसाद वितरण: पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद बांटा जाता है।
विश्वकर्मा पूजा के लिए आवश्यक सामग्री
- भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या तस्वीर
- फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग)
- कलश, नारियल, सुपारी, पान के पत्ते
- अक्षत (चावल), रोली, मौली (धागा)
- गंगाजल या शुद्ध पानी
- यज्ञ सामग्री (घी, हवन कुंड, लकड़ी)
- औजार और यंत्र जिनका पूजा के दौरान आशीर्वाद लिया जाएगा
विश्वकर्मा पूजा से जुड़ी पौराणिक कहानी
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि के सर्वश्रेष्ठ शिल्पकार और वास्तुकार माना जाता है। उन्होंने स्वर्गलोक, द्वारका, पुष्पक विमान, और कई देवताओं के अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण किया। ऐसा माना जाता है कि महाभारत काल में भगवान विश्वकर्मा ने ही भगवान कृष्ण की द्वारका नगरी का निर्माण किया था। इसके अलावा, त्रेता युग में रावण का लंका का स्वर्ण महल और सतयुग में इंद्र का वैकुंठ लोक भी उन्हीं की कारीगरी का नतीजा था।
विश्वकर्मा पूजा हर वर्ष 17 सितम्बर को क्यों मनाई जाती है?
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विश्वकर्मा पूजा हर साल 17 सितम्बर को भगवान विश्वकर्मा के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है। इस दिन को “विश्वकर्मा जयंती” भी कहा जाता है। ज्यादातर फैक्ट्रियों, उद्योगों और कार्यशालाओं में इस दिन भगवान विश्वकर्मा की विशेष पूजा होती है। मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से यंत्रों और उपकरणों में समृद्धि, सुरक्षा और निरंतर कार्यक्षमता बनी रहती है। इस दिन को विशेष रूप से इसलिए चुना गया है क्योंकि इसे शिल्प और निर्माण के देवता का विशेष दिन माना जाता है।
सारांश
विश्वकर्मा पूजा एक श्रद्धा और सम्मान की पूजा है जो औद्योगिक और शिल्पकार वर्गों द्वारा भगवान विश्वकर्मा को समर्पित होती है। सही विधि और विधान के साथ पूजा करने से व्यक्ति को समृद्धि, कामयाबी, और सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।