स्मार्ट सिटी के दावे फेल! नगर निगम लखनऊ की पार्किंग भी अंधेरे में डूबी
Smart City Fails! Lucknow Municipal Parking Left in Darkness
स्मार्ट सिटी का सच! लखनऊ नगर निगम की पार्किंग में छाया अंधेरा
लखनऊ नगर निगम ने शहर के विकास के लिए करोड़ों का बजट पास किया है, परंतु अपने ही मुख्यालय के सामने बनी पार्किंग की लाइट जलवाने का बजट शायद ‘बिजली कटौती’ की भेंट चढ़ गया है। शहरभर में स्ट्रीट लाइट जलाने और स्मार्ट लाइटिंग सिस्टम लगाने के वादे किए जाते हैं, लेकिन नगर निगम मुख्यालय के सामने बनी पार्किंग अंधेरे में डूबी हुई है। अब अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाकी शहर की ‘रोशनी’ का क्या हाल होगा।
सूत्रों के अनुसार, अंधेरे की वजह से यहां आने वाले वाहन एक-दूसरे से टकरा रहे हैं, लोग ठोकर खा रहे हैं,परंतु मजे की बात यह है कि जब नगर आयुक्त और महापौर महोदय शहर की व्यवस्थाओं को ‘और बेहतर’ बनाने के लिए बाहर दौरे पर होते हैं, तब उनके ही ऑफिस के सामने लोगों को व्यवस्था की ‘असली तस्वीर’ दिख जाती है—काला अंधेरा और ठोकरें!
बजट, प्लानिंग और स्मार्ट सिटी की बातें… पर लाइट का स्विच ऑफ!
नगर निगम के बड़े अधिकारी फाइलों में चमकदार रिपोर्ट बनवाकर बजट पास करवा रहे हैं, योजनाओं की लंबी-चौड़ी घोषणाएं हो रही हैं, लेकिन हकीकत यह है कि पार्किंग में एक अदद बल्ब तक नहीं जल पा रहा। शायद लखनऊ स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत ‘स्मार्ट अंधेरा’ लाने की तैयारी हो रही है!
कैमरे भी बंद, हादसे की गारंटी मुफ्त!
रोशनी न होने से सुरक्षा कैमरे भी अंधेरे में डूबे पड़े हैं। अगर कोई घटना हो जाए, कोई गाड़ी चोरी हो जाए या कोई बड़ा हादसा हो जाए, तो नगर निगम के पास सिर्फ एक जवाब होगा—‘अंधेरा था, कुछ दिखा नहीं!’ जनता के लिए नगर निगम ने एक नया स्लोगन दिया है— ‘सावधान रहें, अंधेरे में खुद को बचाएं, क्योंकि नगर निगम से कोई उम्मीद न लगाएं!’
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महापौर और नगर आयुक्त ‘व्यस्त’, जनता त्रस्त
महापौर महोदया और नगर आयुक्त साहब शहर के विकास कार्यों की समीक्षा करने में इतने व्यस्त हैं कि नगर निगम के मुख्यालय के बाहर क्या हो रहा है, इसकी खबर तक नहीं। शहरवासियों को अब यह उम्मीद नहीं बची कि लखनऊ कभी सच में ‘स्मार्ट सिटी’ बनेगा। फिलहाल, स्मार्ट सिटी का सपना तो दूर की बात है, कम से कम नगर निगम की पार्किंग में लाइटें जल जाएं, यही बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।
लखनऊ के नागरिकों ने मांग की है कि अगर नगर निगम खुद अपनी ही इमारत के बाहर लाइट नहीं लगा सकता, तो कम से कम एक टॉर्च स्टैंड ही लगा दे, ताकि आने-जाने वालों को अपना रास्ता खुद रोशन करने का मौका मिले!