मऊरानीपुर तहसील में निर्माणाधीन अग्निशमन केंद्र की गुणवत्ता व सामग्री की जांच अग्निशमन केंद्र की गुणवत्ता में और सुधार किए जाने के निर्देश
झांसी //लोकेश मिश्रा
झांसी// जिलाधिकार रविंद्र कुमार ने तहसील मऊरानीपुर में तूफानी दौरे के दौरान निर्माणाधीन अग्निशमन केन्द्र मऊरानीपुर के आवासीय/अनावासीय भवन के निर्माण कार्य काय निरीक्षण किया।
निरीक्षण के दौरान उन्होंने सख्त निर्देश दिए कि निर्माण कार्यों में दोयम दर्जे की सामग्री को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नियमत: है जो सामग्री प्रयुक्त की जानी है उसी का प्रयोग किया जाए।
निर्माण कार्य का स्थलीय निरीक्षण करते हुए उन्होंने कई स्थानों पर गुणवत्ता को खराब पाया और तत्काल सुधारे जाने के निर्देश दिए।
जिलाधिकारी ने निरीक्षण के दौरान निर्माणाधीन अग्निशमन केन्द्र, मऊरानीपुर के आवासीय/अनावासीय भवन की ड्राईंग देखी गई एवं अग्निशमन केन्द्र के आवासीय/ अनावासीय भवन का विस्तृत निरीक्षण किया गया।अग्निशमन केन्द्र की मऊरानीपुर से दूरी के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त की गई। उप जिलाधिकारी, मऊरानीपुर द्वारा अवगत कराया गया कि अग्निशमन केन्द्र की मऊरानीपुर से दूरी लगभग 02 किलोमीटर है।
उन्होंने मौके पर निर्माणाधीन भवन में प्रयुक्त ईटों को देखा तो पाया गया कि भवन के प्रवेश के सामने की दिवालों पर प्रयुक्त ईट की गुणवत्ता अच्छी पाई गई। इसके उपरान्त निर्माण हेतु रखी गई ईटों की गुणवत्ता की जांच स्वयं एवं जांच अधिकारी श्री सुनील कुमार, अधिशासी अभियन्ता, भवन विंग, लोक निर्माण विभाग, झॉसी से कराई गई। जांचोपरान्त पाया गया कि लगभग 10 प्रतिशत ईट खराब है, जिसके सम्बन्ध में अधिशासी अभियन्ता, ग्रामीण अभियन्त्रण विभाग द्वारा अवगत कराया गया कि उनके द्वारा ईटों का प्रयोग करने से उनकी जांच की जाती है एवं खराब ईटों का अलग कर लिया जाता है। इसके उपरान्त उन्होंने भवन के अन्दर की कुछ दिवालों को देखा गया, तो पाया गया कि कुछ खराब ईटें प्रयुक्त की गई हैं। अधिशासी अभियन्ता, ग्रामीण अभियन्त्रण विभाग द्वारा अवगत कराया गया कि झॉसी में ईट नहीं बनाई जाती है, बाहर से ईट मंगवाकर निर्माण कार्य किया जाता है। ईटों का निर्यात करने वाले भट्टों द्वारा पहले तो अच्छी ईटों का निर्यात किया जाता है। बाद में वे बुरी ईटों का निर्यात करने लगते हैं। जिलाधिकारी द्वारा निर्देश दिए गए कि सम्बन्धित ईट निर्यातक के विरूद्ध एक पत्र प्रेषित करें, ताकि ईट निर्यातक के सम्बन्ध में अन्य कार्यदायी संस्था को भी जानकारी हो जाए तथा वे उससे ईट का क्रय न करें। इसके अतिरिक्त जिलाधिकारी ने यह भी निर्देश दिए कि निर्माण हेतु रखी अधोमानक ईटों को हटावाकर उनके स्थान पर गुणवत्तापरक ईटों का प्रयोग किया जाए। भवन की दीवाल में भी जहां-जहां लूज/खराब ईट लगाई गई है, उसे हटवाकर गुणवत्तापरक ईटें लगाई जाए।
जिलाधिकारी ने निरीक्षण के दौरान सीमेण्ट एवं बालू के मिश्रण के संबंध में जानकारी ली, उन्होंने स्वयं एक दीवाल एवं सीढी के निरीक्षण के दौरान पाया कि वहां सीमेण्ट एवं बालू का अधोमानक मिश्रण का प्रयोग किया गया है एवं हाथ लगाने पर सीमेण्ट झड़ रहा है, जिसे सही कराये जाने के निर्देश दिए गए। यह भी निर्देश दिए गए कि मानक के अनुरूप ऐसे सीमेण्ट एवं बालू के मिश्रण का प्रयोग किया जाए, जो सूखने पर झड़े नहीं अभी बेहतर हो सके।
जिलाधिकारी ने निरीक्षण के दौरान कार्यदायी संस्थान के ग्रामीण अभियन्त्रण विभाग के अधिशासी अभियन्ता से निर्माण कार्य में प्रयुक्त सरिया के संबंध में जानकारी ली गई। अधिशासी अभियन्ता, ग्रामीण अभियन्त्रण विभाग द्वारा अवगत कराया गया कि निर्माण में डी.पी.आर. के अनुसार आई.एस.आई प्रमाणित जिन्दल एवं कामधेनु के सरिया का प्रयोग किया जा रहा है, परन्तु भवन का निरीक्षण करने पर निर्माणाधीन छत में प्रयुक्त सरिया को देखा गया, तो पाया गया उसमें ईको प्लस हैक्सा कम्पनी का सरिया का प्रयोग किया गया है, जिसकी गुणवत्ता अपेक्षानुरूप नहीं पाई गई। निर्देश दिए गए कि मानक के अनुरूप ही सरिया का प्रयोग किया जाए। इसमें लापरवाही न बरती जाए।
निर्माणाधीन अग्निशमन के आवासीय/अनावासीय भवनों के निरीक्षण के दौरान उन्होंने इलैक्ट्रिकल एवं बाथरूम फिटिंग के सम्बन्ध में जानकारी ली गई। अवगत कराया गया कि इलैक्ट्रिकल फिटिंग हेतु हेविल्स का प्रयोग किया जाएगा। जिलाधिकारी ने निर्देश दिए गए कि इलैक्ट्रिकल एवं बाथरूम फिटिंग में मानक के अनुरूप सामग्री का ही प्रयोग किया जाए, मानक विपरीत पाए जाने पर कार्यवाही की जाएगी।
निरीक्षण के दौरान प्रथमदृष्ट्या निर्माण कार्य की गुणवत्ता मध्यमवर्गीय पाई गई। गुणवत्ता में अपेक्षानुरूप सुधार लाये जाने के संबंध में आवश्यक निर्देश दिए।