Holi 2023: कब होगा होलिका दहन….. जाने पूजन विधि, मुहूर्त और महत्त्व
सात रंग में खेल रही है दिलवालों की टोली रे, भीगे दामन चोली रे , अपने ही रंग में रंग दे मुझको याद रहेगी होली रे … रंग-बिरंगे रंगों और गुलाल से सजी दुकानें, तरह-तरह की पिचकारियां और कुछ विचित्र सी चीजें ये सब देख कर मन में उमंग सी उठने लगती है। लोगों को होली के त्यौहार का बेसब्री से इंतज़ार रहता है। सभी तैयारी में जुट जाते है गुझिया, पापड़, और स्वादिष्ट व्यंजन नजाने क्या-क्या।
कहते है होली के त्यौहार के एक दिन पहले ही होलिका दहन किया जाता है। लोग नाचते-गाते गानों की धुन पर झूम जाते है। होली के तमाम सदाबहार गानों से तो होली का त्यौहार और ज्यादा रंगीन हो जाता है। होलिका दहन को छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि होलिका दहन पूर्णिमा के दिन प्रदोष काल में की जाए तो सबसे शुभ होता है। होलिका दहन के लिए एक शुभ मुहूर्त का समय होता है ,आज हम जानेंगे होलिका दहन का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि से लेकर हर एक बात….
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
इस बार होलिका दहन 07 मार्च को होगा और 8 मार्च को होली खेली जाएगी।
पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 06 मार्च को शाम 04 बजकर 17 मिनट पर
समापन 07 मार्च को शाम 06 बजकर 09 मिनट पर
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 07 मार्च, मंगलवार को शाम 06 बजकर 24 मिनट से रात 08 बजकर 51 मिनट तक
भद्रा काल का समय 06 मार्च को शाम 04 बजकर 48 मिनट से 07 मार्च को सुबह 05 बजकर 14 मिनट तक
जानिए क्या होलिका दहन की पूजन विधि (Holika Dahan 2023 Pujan Vidhi)
होलिका दहन के दिन होली का पूजा के बाद जल अर्पित करें। इसके बाद शुभ मुहूर्त के अनुसार अपने घर के किसी बड़े बुजुर्ग व्यक्ति से होलिका की अग्नि प्रज्वलित करवाएं। होलिका की अग्नि में फसल सेंके और मुमकिन हो तो इसे अगले दिन सपरिवार उसका सेवन जरूर करें। कहा जाता है होलिका दहन के दिन किया जाने वाला यह उपाय जो कोई भी व्यक्ति करता है उसके जीवन में निराशा और दुख का साया नहीं आता है। साथ ही उस व्यक्ति के परिवार के सभी लोग हमेशा रोगों से मुक्त स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीते हैं।
होलिका दहन में प्रयोग होने वाली सामग्री (Holika Dahan Pujan Samagri)
होलिका दहन की पूजा कुछ विशेष चीजों के बगैर बिल्कुल अधूरी मानी जाती है। इसलिए पूजा से पहले इन चीजों की व्यवस्था अवश्य कर लें. इसमें एक कटोरी पानी, गोबर के उपलों से बनी माला, रोली, अक्षत, अगरबत्ती, फल, फूल, मिठाई, कलावा, हल्दी का टुकड़ा, मूंग दाल, बताशा, गुलाल पाउडर, नारियल साबुत अनाज आदि होने चाहिए।
होलिका दहन का महत्व (Holika Dahan Importance)
घर में सुख शांति और समृद्धि के लिए होलिका दहन के दिन महिलाएं होली की पूजा करती हैं. होलिका दहन की पूजा काफी लंबे समय से शुरू की जाती है. होलिका दहन के लिए बहुत दिनों पहले से ही लोग लकड़ियां इकट्ठा करना शुरू कर देते हैं. इन लकड़ियों को इकट्ठा करके एक गट्ठर के रूप में रखा जाता है और फिर होलिका दहन के शुभ मुहूर्त में इसे जलाया जाता है. होलिका दहन का यह दिन बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना जाता है.
क्या है होलिका दहन के पीछे पौराणिक कथा और महत्त्व?
हर घटना के पीछे एक इतिहास और इतिहास के पीछे एक कहानी छिपी होती है। पुराणों के अनुसार, दानवराज हिरण्यकश्यप ने जब देखा की उसका पुत्र प्रह्लाद विष्णु भगवान के अलावा किसी अन्य को नहीं मानता तो वह क्रुद्ध हो उठा। उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया की वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए। होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि नुकसान नहीं पहुंचा सकती। किन्तु हुआ इसके ठीक विपरीत, होलिका जलकर भस्म हो गयी। भक्त प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ। इसी घटना की याद में इस दिन होलिका दहन करने का विधान है। होली का पर्व संदेश देता है कि इसी प्रकार ईश्वर अपने अनन्य भक्तों की रक्षा के लिए सदा उपस्थित रहते हैं।