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भ्रष्टाचारराजनीति

खुले आसमान के नीचे शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हुए छात्र


शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए सरकार तमाम दावे तो करती है,लेकिन धरातल पर स्थिति कुछ और ही नजर आती है। जहा खुले आसमान के नीचे शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर बच्चे तो वही स्कूल की जर्जर इमारत दे रही हादसे को न्योता।

सरकार शिक्षा पर करोड़ों रुपये तो खर्च करती है, पर जमीनी हालात नोनिहलों पर भारी पड़ते दिख रहे हैं। चुनाव के दौरान सभी राजनीतिक दल स्वास्थ ओर शिक्षा सुधारने के बड़े- बड़े दावे करते हैं। पर जैसे ही यह दल सत्ता पर काबिज़ होते हैं, इस ओर कोई ध्यान नही दिया जाता। अगर हम बात करें डोईवाला विधानसभा क्षेत्र की तो यहां के विधायक लगभग 4 सालों तक प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे, ओर उनके सीएम बनने से यहां की जनता को बड़ी उम्मीदें भी थी, पर आज डोईवाला के दर्जनों स्कूलों की जर्जर स्तिथि को देख सरकार की मंशा पर सवाल खड़े होते है। हालांकि इस स्कूल को लेकर कॉंग्रेस कार्यकर्ता कई बार आवाज उठा चुके हैं।

स्कूल की इमारत जर्जर होने की वजह से कई बार छत का प्लास्टर गिर गया, जिससे छात्र चोटिल भी हो गये, ओर इसके बाद स्कूल प्रशासन ने छात्रों की कक्षाएं खुले आसमान के नीची चलाना ही मुनासिब समझा।लेकिन बरसात के दिनों में बच्चों का ध्यान पढ़ाई में कम और छत से गिर रहे प्लास्टर पर ज्यादा रहता है।

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