Atal Swasthya Mela 2024: जाम के झाम में उलझा ‘अटल स्वास्थ्य मेला’ नेताजी का स्वास्थ्य दुरुस्त, जनता का हाल बेहाल
Atal Swasthya Mela 2024: A Health Fair or Political Spectacle?

Atal Swasthya Mela 2024: स्वास्थ्य सेवा या राजनीतिक मंच?
पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई के जन्म उत्सव पर जब अटल स्वास्थ्य मेला की घोषणा हुई थी, तब हर कोई खुश था कि अब मुफ्त में स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी। लेकिन जब मेला मैदान पहुंचा, तो पता चला कि यह मेला कम और भाजपा नेताओं की महफिल ज्यादा है।
जाम का अटल प्रभाव
सड़कों पर लंबा जाम था, लेकिन यह जाम गाड़ियों से नहीं, बल्कि पुलिसकर्मियों से भरा था। पुलिसवालों ने आम जनता को रोकने में कोई कसर नहीं छोड़ी। ऐसा लगा जैसे जनता नहीं, नेताओं की सभा में बाधा डालने वाले प्रदर्शनकारियों को संभाला जा रहा हो। “स्वास्थ्य सेवाएं लें” के नाम पर जनता को “घर बैठें और इंतजार करें” का पाठ पढ़ाया गया।
भाजपा कार्यकर्ताओं का ‘स्वास्थ्य प्रदर्शन’
मेला मैदान के अंदर का नजारा कुछ और ही था। कार्यकर्ता और नेता मंच पर ऐसे मुस्कुरा रहे थे जैसे उन्होंने जनता का स्वास्थ्य सुधारने का ठेका ले लिया हो। नेताओं के भाषण सुनने के बाद ऐसा लगा कि स्वास्थ्य नहीं, पार्टी का प्रचार हो रहा है। एक नेता ने तो मजाक में कह भी दिया, “आपकी सेहत की जिम्मेदारी अब हमारी राजनीति की है।”
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जनता नामक अदृश्य प्राणी
जिनके लिए यह मेला था, वह जनता कहीं दिखी ही नहीं। जनता को मेले के प्रवेश द्वार पर ही रोक दिया गया। एक व्यक्ति ने गुस्से में कहा, “अटल जी का नाम लेकर नेताजी ने मेला तो लगा दिया, पर हमें इससे फायदा मिलेगा या नहीं, यह रामभरोसे है।”


नेताओं का स्वास्थ्य दुरुस्त
जहां आम जनता को स्वास्थ्य मेले में पहुंचने में परेशानी हुई वहीं भाजपा नेता पूरे आराम से स्वास्थ्य जांच करवा रहे थे। एक वरिष्ठ नेता का ब्लड प्रेशर जांचते हुए डॉक्टर ने कहा, “नेताजी, आपका स्वास्थ्य बिल्कुल दुरुस्त है। बस जनता की चिंता मत कीजिए।”
इस मेले ने यह साबित कर दिया कि स्वास्थ्य सेवाएं भले ही जनता के नाम पर हों, लेकिन असली लाभ नेताओं को मिलता है। अटल बिहारी वाजपेयी जी ने शायद यह कभी नहीं सोचा होगा कि उनके नाम पर ऐसा राजनीतिक खेल खेला जाएगा। जनता अब कह रही है, “अटल स्वास्थ्य मेला नहीं, अटल राजनीतिक मेला कहना चाहिए।”