क्या पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार का बनना भारत के लिए खतरे की घंटी है ?
क्या पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार का बनना भारत के लिए खतरे की घंटी है ?
पांच राज्यों के चुनाव ख़तम हो चुके हैं, अब इन प्रदेशों में जीत दर्ज करने वाली पार्टी सरकार और कैबिनेट का स्वरुप तय करने में व्यस्त हैं, वही इन प्रदेशों में सत्ता से दूर रहने वाली पार्टियां तमाम तरह के विश्लेषण करने में व्यस्त है। इस चुनाव की इस पूरी प्रक्रिया में एक बात खास नोटिस करने वाली है, और वो यह है कि जो AAM ADAMI PARTY उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और गोवा में एक भी शीट न जीत पाई हो वही AAP पंजाब में 117 शीट वाली विधान सभा में 92 शीट के प्रचंड बहुमत के साथ दाखिल हो रही है, यह कैसे संभव है इस बात कि चिंता हर राष्ट्रभक्त और हर भारतीय को होनी चाहिए, यह चिंता और भी बड़ी तब हो जाती है जब देश विदेश में प्रसिद्ध कवि कुमार विश्वाश जैसा व्यक्ति केजरीवाल और AAP पर खालिस्तान समर्थक और खालिस्तानी आतंकवादिओं के संपर्क में होने और उनसे फण्ड हाशिल करने का आरोप लगा रहा हो।
देखें कुमार विस्वाश के केजरीवाल और आम आदमी पार्टी पर लगाए गए आरोप
वैसे भी पंजाब कि सीमाएं हमारे दुश्मन मुल्क पकिस्तान से लगती हैं और बहुत ही सम्बेदंशील हैं, आज पंजाब का अधिकांश युवा या तो विदेशों में है या फिर नशे की गिरफ्त में है जिसको बहुत आसानी से थोड़े से पैसे और नशे का लालच दिखाकर देश विरोधी गतिविधिओं में शामिल किया जा सकता है।
हमारी इस शंका को और भी बल मिलता है क्यूंकि आम आदमी पार्टी पंजाब के मुख्यमंत्री पद के भावी उम्मीदवार भगवंत मान कई बार एक सीमा से ज्यादा नशे की हालत में पब्लिक प्लेस पर स्पॉट किये गए हैं, और इनको अपने मुख्यम्नत्री के रूप में पाकर पंजाब के सभी नशेड़ी लोग एक अलग दुनियां में गोता लगा रहे है। जिनको देश विरोधी गतिविधिओं में लगाना खालिस्तानी आतंकवादिओं और ISI के लिए कोई कठिन काम नहीं है।
वहीँ जानकर सूत्रों का कहना है कि भगवंत मान को मुख्यमंत्री बनाना तो आम आदमी पार्टी की मजबूरी थी क्यूंकि कांग्रेस किसी पंजाबी को मुख्यमंत्री बनाने की पहले ही घोषणा कर चुकी थी जिसके विरोध में कांग्रेस नेता सुनील जाखड़ ने अपना इस्तीफ़ा दे दिया था, AAP ऐसा कोई चांस लेना नहीं चाहती थी, सत्ता की असली चाभी तो AAP के युवा चेहरा और अरविन्द केजरीवाल के भावी दामाद राघव चड्ढा के हाथों में होगी, जिन्होंने चंडीगढ़ में पहले ही एक घर ले लिया है।
ध्यान देने वाली बात यह है कि अरविन्द केजरीवाल ने अभी तक खालिस्तान से अपने सम्बन्धो को नकारा नहीं है जिसके लिए कुमार विश्वाश ने अरविन्द केजरीवाल को चैलेंज किया था।
अमित साह जी की राणनिति एक बार फिर उत्तर प्रदेश में सफल हुई है और बीजेपी एक नए राज्य में एक नए मिशन में जुट गई है, लेकिन मेरा मानना है कि गृहमंत्री अमित साह जी को इस मुद्दे को कुमार विश्वास के आरोपों के दृश्टिगत गंभीरता से लेते हुए भारत सरकार के शीर्ष संस्था से जांच कराकर जनता के सामने सच्चाई अवश्य रखनी चाहिये, और यदि कुमार विश्वाश ने सिर्फ राजनैतिक लाभ लेने या किसी को दिलाने के लिए झूठा प्रोपेगंडा रचा था और भोली भाली जनता के इम्मोशन के साथ खिलवाड़ किया था तो इनको इस झूठे प्रोपेगंडा के लिए कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
बिजेंद्र देव ओझा की कलम से