कानपुर:- महाअभियान का सतीश महाना ने किया प्रतीक चिन्ह का अनावरण।।

संस्कार ही मनुष्य को मर्यादित करते हैं -विधान सभाध्यक्ष सतीश महाना।।

जीवन में संस्कारों का महत्व सबसे अधिक है संस्कार ही मनुष्य को मर्यादित करते हैं इसलिये आने वाली पीढ़ी को अपनी इस संस्कार परम्परा से जोड़ना मानवता की सबसे बड़ी सेवा है, यह विचार विधान सभाध्यक्ष सतीश महाना जी ने युग दधीचि देहदान संस्थान के संस्कार जागरण अभियान के शुभारम्भ पर प्रतीक चिन्ह का अनावरण करते हुये व्यक्त किये।
डी.पी.एस. नगर निगम इण्टर कालेज के सभाकक्ष में आयोजित समारोह में अभियान प्रमुख मनोज सेंगर ने बताया कि अपनी युवा पीढ़ी को सनातन परम्परा के 16 संस्कारों से परिचित कराने हेतु यह अभियान प्रारम्भ किया गया है इसके अन्तर्गत महा विद्यालयों में गोष्ठियां एवं सेमिनार आयोजित कर युवा वर्ग को इसके महत्व से परिचित कराया जायेगा । मुख्य वक्ता उत्कर्ष अकादमी निदेशक डा. प्रदीप दीक्षित ने कहा कि हिन्दू संस्कृति में विवाह एक शारीरिक समझौता नहीं संस्कार है।16 संस्कारों में 15 वाँ संस्कार विवाह एवं 16 वाँ अन्तेष्टि अंतिम है।
उन्होने यह भी कहा कि 16 संस्कारों में सर्वाधिक 5 संस्कार शिक्षा से सम्बन्धित हैं जिन्हें बाल्यावस्था में ही दिया जाता है। समारोह में विशिष्ट अतिथि पं. शेष नारायण त्रिवेदी ‘पप्पूजी’ एवं अतिथि के रूप में पार्षद पं. महेन्द्र पाण्डेय ‘पप्पू जी’ उपस्थित रहे। अतिथियों का स्वागत महा विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री नन्द किशोर मिश्रा ने एवं आभार अरुण प्रकाश अग्निहोत्री ने दिया । समारोह में पी. रोड निवासी श्रीमती विजया मिश्रा को अपने पति स्व. देवेन्द्र मिश्रा की देह विगत सितम्बर माह में दान करने हेतु ” युग दधीचि सम्मान ” प्रदान किया गया ।
यहाँ माधवी सेंगर, अनिलराय, मनोज त्रिवेदी, डा. मनप्रीत सिंह, गिरीश मिश्रा, पंकज पाण्डेय, अरुण त्रिपाठी, धर्मेन्द्र अवस्थी विशेष रूप से रहे।।