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RO वाटर का सच आपको हैरान कर देगा, पानी पीने से पहले ये पढ़िए…

जब बात हो आपके स्वास्थ्य की तो जान लीजिये कि सबसे पहले वाटर फिल्टर आया, ये कह के कि आपको बैक्टीरिया और बाकी बीमारियों से बचाएगा, फिर RO आया और ये कहा गया कि जो वायरस और बैक्टीरिया फिल्टर से नहीं छन सकते थे और बच जाते हैं उन्हें ये छान लेगा. फिर RO में UV के साथ मेंब्रेन लग के आने लगे जिसके पीछे ये कारण बताया गया कि पहले वाले से भी जो वायरस बच जाते थे उन्हें UV अब डीएक्टिवेट कर देगा.

ऐसा कुछ सालों तक चलता रहा और फिर कुछ सालों बाद इन्हीं कंपनियों को पता चला कि जिस पानी को इन्होंने इतना छान दिया था उसे दरअसल इतना छानने की ज़रूरत ही नहीं थी, क्योंकि अब चौकाने वाला मामला सामने आया है कि ये “अत्यधिक छना” पानी असल पानी से भी कहीं ज़्यादा नुकसानदेह है.. फिर कंपनियां “एल्कलाइन पानी” लेकर आयीं.. एल्कलाइन फिल्टर वाली बोतल आयी और अब तो मार्केट में एल्कलाइन फिल्टर भी आ गया हैं.. अब उसी छने हुवे पानी में फिर से मिनरल मिलाया जाता है.

फिर Kangen वाटर आया.. काला एल्कलाइन पानी आया.. और अब ये बताया जा रहा है कि RO का पानी दरअसल सबसे ज़्यादा नुकसानदेह होता है.. अगर आप कम TDS वाला पानी, जो कि RO का या बिसलेरी की बोतल का होता है अगर आप रोज़ पीते हैं तो धीरे – धीरे वो आपकी हड्डियां, दांत सब कुछ गलाने लगता है और आपके हृदय की धमनिया वगैरह भी ख़राब होनी शुरू हो जाती हैं.. कंपनियां जो RO बेच रही हैं वो इस बात को जनता तक नहीं पहुंचाती हैं

.. तो चलिए हम बताते है कि किसी भी पानी जिसका TDS 250 से कम है वो आपके लिए ज़हर होता है और बिसलेरी का TDS 30 se 75 के बीच होता है.. आपके घर में जो RO लगा है अगर उसका TDS 35 या 75 है तो समझिए आप ज़हर पी रहे हैं पानी नहीं.

अब लोगों के सामने समस्या ये है कि शहरों का पानी बहुत अधिक प्रदूषित हो चुका है.. आप शहरों में सीधे नल का पानी पी ही नहीं सकते हैं.. क्यूंकि आपके नल के आसपास न जाने कितने टॉयलेट के गढ्ढे होंगे.. आपको फिल्टर तो चाहिए मगर फिल्टर क्या क्या छान ले रहा है आपके पानी से ये आप जान नहीं पाते हैं.

फिल्टर वाली कंपनियों का कोई भी एम्प्लॉय न तो ये जानता है और न ही आपको बताता है क्योंकि उसे बस अपना माल बेचना होता है.. आपके दांत गल जाएं या हृदय की धमनियां, उसको इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता है.. चूंकि ये मेडिकल की ही तरह बहुत बड़ा बिज़नेस बन चुका है इसलिए अब कोई भी फिल्टर के साइड इफेक्ट नही बताता है.

अब पानी छानिये.. फिर उसे एल्कलाइन बनाईये.. फिर उसमे मिनरल ऐड कीजिये.. फिर पीजिये.. मगर ये वाटर फ़िल्टर की कंपनियां आपके घर के हिसाब से कोई ऐसा फ़िल्टर नहीं लगाएंगी जो वहां सिर्फ़ वही ज़रूरत पूरी करे जो होनी चाहिए.. ज़्यादातर घरों में जो पानी आता है उनमे से TDS कम करने की कोई ज़रूरत नहीं होती है.. मगर कंपनी का एक बिना पढ़ा लिखा एम्प्लोयी आकर आपको 10 फ़िल्टर वाला प्रोडक्ट बेच देता है और आपके पानी में कुछ बचता ही नहीं जिसकी आपके शरीर को ज़रूरत होती है.. फिर आप डॉक्टर के पास जाते हैं और डॉक्टर आपको गोलियां खिलाता है

दुनिया में जीवन बेचने का बिज़नस चल रहा है और सबको बस अपने बिजनेस से मतलब है बस उसे अपना बिजनेस चलाना है.. एक आपको पानी छान के पिलाता है.. दूसरा आपको पानी से छाने गए मिनरल की गोली देता है.. मगर कोई भी आपको असल बीमारी कभी नहीं बताता, तो अब निर्णय आपको लेना है की आपको अपने को कैसे स्वस्थ रखना है.

Ramji Tiwari

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