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मथुरा में जन्माष्टमी का उत्सव: कैसे मनाई जाती है और क्यों पूरी दुनिया से आते हैं भक्त?

Janmashtami Celebration in Mathura: How It Is Celebrated and Why Devotees Flock from Around the World?

जन्माष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का पर्व, मथुरा में बड़े धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। मथुरा वह पवित्र भूमि है जहाँ भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, इसलिए यहां की जन्माष्टमी का महत्व अन्य स्थानों से विशेष है। इस दिन मथुरा में भक्तों का तांता लगा रहता है, जो भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं और उनके दिव्य चरित्र का साक्षात्कार करने आते हैं। आइए जानें कि मथुरा में जन्माष्टमी कैसे मनाई जाती है और क्यों पूरी दुनिया से भक्त यहां आते हैं।

मथुरा में जन्माष्टमी की तैयारियाँ

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1. श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर का विशेष महत्त्व:

मथुरा में स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर जन्माष्टमी का मुख्य केंद्र होता है। इस मंदिर को विशेष रूप से सजाया जाता है और यहां भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का महोत्सव रात 12 बजे मनाया जाता है। भक्तजन मंदिर में इकट्ठा होते हैं और भगवान के जन्म की प्रतीक्षा करते हैं। जैसे ही रात 12 बजे भगवान का जन्म होता है, पूरे मंदिर में “जय कन्हैया लाल की” के जयकारे गूंज उठते हैं।

2. विशाल झांकियों और रासलीला का आयोजन:

मथुरा की गलियों और मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण की झांकियां सजाई जाती हैं, जो उनकी बाल लीलाओं को दर्शाती हैं। ये झांकियां इतनी जीवंत होती हैं कि भक्तजन श्रीकृष्ण के बाल्यकाल के दिनों को साक्षात् देखने का अनुभव करते हैं। रासलीला का आयोजन भी मथुरा की जन्माष्टमी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहां भगवान के जीवन की घटनाओं का प्रदर्शन किया जाता है।

3. पूजा और भजन-कीर्तन:

जन्माष्टमी के दिन, मथुरा के मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान श्रीकृष्ण के भजन गाए जाते हैं और भक्तजन पूरी रात जागरण करते हैं। मथुरा के मंदिरों में होने वाले भजन-कीर्तन की मिठास और भक्तिभाव पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है।

4. दही-हांडी की धूम:

मथुरा में जन्माष्टमी के अवसर पर दही-हांडी का आयोजन भी किया जाता है। यह खेल भगवान श्रीकृष्ण की माखन चुराने की लीला का प्रतीक है। इस खेल में भाग लेने के लिए दूर-दूर से टीमें आती हैं और इसमें जीतने वाले को पुरस्कार दिया जाता है।

जन्माष्टमी पर दही-हांडी का पौराणिक महत्व

पूरी दुनिया से क्यों आते हैं भक्त?

1. श्रीकृष्ण की जन्मभूमि का आध्यात्मिक आकर्षण:

मथुरा वह पवित्र स्थान है जहां भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। यह स्थान केवल भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में आध्यात्मिकता का केंद्र माना जाता है। भक्तजन इस पवित्र भूमि पर आकर भगवान के जन्म का साक्षात्कार करने के लिए लालायित रहते हैं।

2. धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व:

मथुरा की जन्माष्टमी न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका सांस्कृतिक महत्व भी बहुत अधिक है। यहां के रासलीला, झांकियां, और पूजा-पाठ की विधि में भारतीय संस्कृति की झलक मिलती है, जो विदेशी पर्यटकों को भी आकर्षित करती है। यही कारण है कि मथुरा की जन्माष्टमी देखने के लिए विदेशी श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में आते हैं।

3. अनुभूति का अनोखा अनुभव:

मथुरा की जन्माष्टमी का उत्सव मात्र एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा अनुभव है जो हर किसी के दिल में बस जाता है। यहां की भक्ति, श्रद्धा, और प्रेम से भरा वातावरण भक्तों को एक दिव्य अनुभूति का एहसास कराता है।

4. विश्वस्तरीय आयोजन और प्रचार:

मथुरा में होने वाले जन्माष्टमी के उत्सव को पूरी दुनिया में प्रचारित किया जाता है। लाइव स्ट्रीमिंग और सोशल मीडिया के माध्यम से इसे दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाया जाता है, जिससे यहां का महत्त्व और भी बढ़ जाता है।

निष्कर्ष

मथुरा में जन्माष्टमी का उत्सव अपनी विशेषता और भव्यता के कारण पूरे विश्व में विख्यात है। भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि पर इस पर्व को मनाने का अलग ही आनंद होता है, जो भक्तों को अध्यात्म और भक्ति के अनोखे संसार में ले जाता है। यही कारण है कि हर साल लाखों भक्त मथुरा की ओर खिंचे चले आते हैं, ताकि वे इस पवित्र स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का साक्षात्कार कर सकें।

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