जलकल विभाग की लापरवाही: लखनऊ में गंदे पानी की समस्या और करोड़ों का बजट बर्बाद
JalKal Department's Mismanagement: Dirty Water Supply in Lucknow, Crores of Budget Wasted

गंदे पानी की समस्या: लखनऊ जलकल विभाग की जोन 3 की अनोखी व्यवस्था
लखनऊ के नागरिक अब शायद अपने नलों से आने वाले पानी को ‘बदकिस्मती’ कहने पर मजबूर हो गए हैं। साफ पानी गायब हो गया है, और बदले में बीमारियां मुफ्त मिल रही हैं—वो भी लखनऊ जलकल विभाग की अनोखी व्यवस्था के तहत। करोड़ों का बजट आता है, लेकिन वो कहां जाता है, ये सिर्फ भगवान ही जानते हैं।
नगर निगम जोन 3 के अधिशासी अभियंता शशि गुप्ता साहब की दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने शायद समस्या सुनने और देखने की क्षमता खो दी है। फाइलों में कमीशन की गिनती खूब हो रही है, लेकिन गंदे पानी की समस्या पर ध्यान नहीं। वहीं, जलकल महाप्रबंधक कुलदीप सिंह अपनी कुर्सी से इस तरह चिपके हुए हैं जैसे उनकी जिंदगी उसी पर टिकी हो। उन्होंने शायद गांधी जी के तीन बंदरों की तरह कुछ नहीं देखना, सुनना, और बोलना तय कर लिया है।
शहर में प्रचार-प्रसार की टीमें रोज सड़कों पर घूमती नजर आती हैं, मानो जलकल विभाग के बजट का सही उपयोग हो रहा हो। लेकिन हकीकत यह है कि लीकेज की फाइलें मोटी हो रही हैं और पाइपलाइनें पतली। चौधरी टोला मोहल्ले की पाइपलाइनें तो अब शायद कह रही हैं, “अब मछली पकड़ने का सामान निकालो!”
लोग शिकायतें करते-करते थक गए हैं, लेकिन लखनऊ जलकल विभाग की नींद तोड़ना सबसे कठिन काम है। मोहल्ले वाले सीवर मिला पानी पी रहे हैं और बीमार हो रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। जब इस मामले पर सूचना इंडिया ने उंगली उठाई, तो उसकी भी अनदेखी कर दी गई—मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
लखनऊ में जलकल विभाग की पहल: 02 टंकियों का पुनर्निर्माण और नलकूपों का रिबोर कार्य शुरू
हर साल लखनऊ जलकल विभाग को करोड़ों का बजट मिलता है, लेकिन सड़कों की हालत, नालियों की समस्या और लोगों की उम्मीदें जस की तस हैं। लखनऊ वालों को अब न केवल पानी बल्कि अपनी उम्मीदों को भी बहते देखना आदत में शामिल कर लेना चाहिए। जलकल विभाग से सुधार की उम्मीद रखना शायद खुद से मजाक करना है।