झारखंड में बिहार के तीन युवकों की हत्या क्या Mob Lynching है? जानिए पूरा मामला
Is the Murder of Three Youths in Jharkhand a Mob Lynching? Full Story Inside
क्या झारखंड में हुई बिहार के तीन युवकों की हत्या मॉब लिंचिंग थी? जानिए पूरा मामला
10 अक्टूबर को बिहार के तीन युवकों के शव उनके गांव पहुंचे, जो झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम में मृत पाए गए थे। शवों की हालत देखकर गांव में शोक का माहौल और गहरा हो गया। इन तीनों युवकों की पहचान राकेश, रमेश, और तुलसी साह के रूप में हुई है। राकेश और रमेश सगे भाई थे और शिवहर जिले के रहने वाले थे, जबकि तुलसी साह पूर्वी चंपारण के थे।
पूरा मामला क्या है?
8 अक्टूबर को झारखंड के गुदड़ी थाना क्षेत्र के जतरमा गांव के जंगलों से इन तीनों युवकों के क्षत-विक्षत शव बरामद किए गए। ये सभी युवक कपड़ों की फेरी का काम करते थे और अपने परिवार से बात करना बंद कर चुके थे, जिससे उनके परिवारवालों को उनकी चिंता होने लगी थी।
पुलिस के मुताबिक, प्रारंभिक जांच में पता चला है कि ये युवक स्क्रैच कार्ड धोखाधड़ी में लिप्त थे, जिसके चलते उनकी हत्या हुई। हालांकि, पश्चिमी सिंहभूम के एसपी आशुतोष शेखर ने Mob Lynching की घटना से इनकार किया है और कहा है कि जांच जारी है।
क्या ये मॉब लिंचिंग है?
स्थानीय पत्रकारों और गांव वालों का मानना है कि जिस तरह से इन युवकों की हत्या की गई, वह मॉब लिंचिंग जैसी प्रतीत होती है। शवों की स्थिति देखकर यह स्पष्ट है कि उन्हें बहुत ही बर्बर तरीके से मारा गया था। वहीं, पुलिस इसे व्यक्तिगत दुश्मनी या स्क्रैच कार्ड से जुड़ी धोखाधड़ी का मामला बता रही है।
मुआवजे की मांग और प्रशासन की प्रतिक्रिया
इस मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया है। बिहार सरकार के लेबर विभाग के अनुसार, मृतकों के परिवार को मुआवजे के रूप में दो लाख रुपये दिए जा सकते हैं, क्योंकि ये मजदूर असंगठित क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं।
झारखंड का नक्सल प्रभावित क्षेत्र
यह घटना झारखंड के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में हुई, जहां पत्रकारों और अधिकारियों का पहुंचना मुश्किल होता है। ऐसे इलाकों में काम करने वाले लोगों को अक्सर खतरे का सामना करना पड़ता है। बिहार के शिवहर जिले से बड़ी संख्या में युवा इस इलाके में फेरी का काम करने जाते हैं, और इस जोखिम भरे काम के कारण कई बार उनकी जान भी चली जाती है।
शिवहर की गरीबी और पलायन की मजबूरी
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शिवहर बिहार का सबसे गरीब जिला है, जहां रोजगार के अभाव के कारण युवा पलायन करने को मजबूर हैं। राकेश और रमेश जैसे सैकड़ों युवक अपनी रोजी-रोटी के लिए दूसरे राज्यों में फेरी का काम करते हैं। राकेश शादीशुदा थे और उनकी पत्नी आठ महीने की गर्भवती हैं, जबकि रमेश की अभी शादी नहीं हुई थी। परिवार के दो कमाने वाले सदस्यों के अचानक चले जाने से परिवार गहरे संकट में है।
इस घटना ने एक बार फिर ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार के अभाव और उनकी जान जोखिम में डालने वाली परिस्थितियों को उजागर किया है।