
Deepawali 2024: परंपराओं संग जश्न, प्रदूषण का असर, PM मोदी ने BSF जवानों के साथ मनाई दीपावली
दीपावली 2024 का जश्न इस साल भी जोर-शोर से मनाया गया, लेकिन इसके साथ ही प्रदूषण और धार्मिक हमले जैसी चुनौतियाँ भी सामने आईं। जब पूरे देश में दीयों का प्रकाश और पटाखों की गूंज हो रही थी, तो वहीं दूसरी ओर बढ़ते प्रदूषण और सनातन धर्म पर हो रहे हमलों को लेकर चिंतन और चर्चा भी जोरों पर थी।
दीवाली पर जश्न का जोश और प्रदूषण की मार
Deepawali 2024 का जश्न लोगों का जोश हाई कर गया। हर शहर, गाँव और कस्बे में दीप जलाए गए, मिठाइयों का आदान-प्रदान हुआ, और लोग पूरे उत्साह से एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देने में जुटे रहे। परंतु इस हर्षोल्लास के साथ ही, प्रदूषण का स्तर भी कई शहरों में खतरनाक रूप से बढ़ गया। हर साल की तरह इस साल भी प्रदूषण का स्तर बेकाबू होता दिखा, जिससे हवा की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ा।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर लोग अपने उत्सव में हरित दीवाली की ओर ध्यान दें और पटाखों का उपयोग कम करें, तो इसका पर्यावरण पर सकारात्मक असर हो सकता है। दीपावली 2024 के जश्न के साथ-साथ इस साल सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए कई विशेष कदम उठाए, लेकिन फिर भी स्थिति पर पूरी तरह से नियंत्रण नहीं पाया जा सका।
प्रधानमंत्री मोदी का BSF जवानों के साथ जश्न – सर क्रीक में विशेष आयोजन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल दीपावली BSF के जवानों के साथ मनाई। सर क्रीक की सीमा पर इस आयोजन में प्रधानमंत्री ने जवानों के साथ समय बिताया और उनके अनुभव साझा किए। उन्होंने जवानों का हौसला बढ़ाया और उन्हें देश की रक्षा में उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया। इस खास मौके पर जवानों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि सीमाओं पर अपनी जान की बाजी लगाकर देशवासियों की सुरक्षा में जुटे रहने का अनुभव कैसा होता है।
सर क्रीक में मनाए गए इस आयोजन के दौरान जवानों ने प्रधानमंत्री के साथ फोटो खिंचवाई और अपनी कठिनाइयों तथा उपलब्धियों के बारे में चर्चा की। प्रधानमंत्री मोदी ने सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति की रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी व्यक्त की।
सनातन धर्म पर हो रहे हमले और पैर छूने की परंपरा
सनातन धर्म पर हो रहे हमले, चाहे वह सामाजिक रूप से हों या राजनीतिक रूप से, ने इस बार के दीपावली के जश्न पर भी अपनी छाप छोड़ी। लोग इन हमलों को लेकर चिंतित हैं, परंतु साथ ही उन्होंने पारंपरिक रीति-रिवाजों को जीवित रखने के अपने संकल्प को और मजबूत किया है।
इस अवसर पर लोग ने अपने बड़े बूढ़ों के पैर छूकर और दीपावली के इस पावन पर्व पर सुख और समृद्धि का आशीर्वाद लिया, जो कि हमारी संस्कृति में सम्मान और श्रद्धा का प्रतीक है। इसके बाद दीप जलाए गए और जम कर आतिशबाजी का आनंद उठाया गया, और पूरा माहौल धुआं धुआं कर दिया। धार्मिक हमलों के बीच सनातन धर्म के अनुयायियों का यह संकल्प है कि वे अपनी परंपराओं को जीवित रखेंगे और हर बाधा का सामना करेंगे।
लोगों के जोश और त्यौहार के जुनून के आगे दिल्ली में पटाखा बैन का निकला दम
दिल्ली में प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार ने पटाखों पर बैन लगाया था, लेकिन दीवाली की रात लोगों के त्यौहार का जुनून और जोश इस बैन पर भारी पड़ा। शहर के सभी हिस्सों में लोग जमकर पटाखे फोड़ते नजर आए, जिससे प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ गया और दिल्ली सुबह धुएं की चादर में लिपटी हुई दिखी। इस नजारे ने साफ कर दिया कि लोगों के उत्साह और त्योहार के जुनून के सामने इस तरह के बैन का कोई मतलब नहीं है ।
“जब चार दिन की जिंदगी है तो टेंशन लेने का नहीं”
दीपावली के दौरान लोगों का उत्साह और जोश देखते ही बनता है। हर किसी की जुबान पर यही बात थी कि “जब चार दिन की जिंदगी है तो टेंशन लेने का नहीं”। लोग इस त्योहार में अपनी चिंताओं को भूलकर पूरी उमंग के साथ जश्न मनाते हैं।
इस बार का दीवाली संदेश था कि जीवन क्षणभंगुर है और खुशियाँ बांटने का समय ही सच्चा समय है। इसलिए लोगों ने इस अवसर पर एक-दूसरे के साथ मिलकर खुशियाँ मनाईं और आने वाले साल के लिए नई आशाएँ संजोईं।
Elephant Foot Yam (जिमीकंद): दीपावली का पारंपरिक स्वाद और इसके स्वास्थ्य लाभ जानें
दीपावली 2024 का त्योहार जहाँ एक ओर धार्मिक परंपराओं, प्रधानमंत्री मोदी के सैनिकों के साथ विशेष समारोह, और प्रदूषण जैसी चुनौतियों के साथ मनाया गया, वहीं दूसरी ओर यह हमें हमारी संस्कृति, परंपराओं और सनातन धर्म के प्रति हमारी प्रतिबद्धता की भी याद दिलाता है। इस दीपावली पर लोगों ने यह प्रण लिया कि वे न केवल अपनी संस्कृति और पर्यावरण की रक्षा करेंगे, बल्कि हर स्थिति में अपनी परंपराओं को जिंदा रखेंगे।