नहीं रहे तेलुगु सिनेमा के दिग्गज निर्देशक, निर्माता के. विश्वनाथ
तेलुगु फिल्मों का नाम आते ही के. विश्वनाथ का नाम जुबां पर सबसे पहले आता है। तेलुगु सिनेमा के दिग्गज निर्देशक, निर्माता सिनेमा जगत में एक से बढ़ कर एक धमाकेदार फिल्मों से अपनी खास जगह बनाने वाले के. विश्वनाथ ने गुरुवार 2 फरवरी को हैदराबाद के एक अस्पताल में सभी से अलविदा कह दिया।
आपको बता दें की लम्बे समय से वे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। यही वजह थी की 92 साल की उम्र में वो सबको छोड़ कर चले गए। उनकी मौत से पुरे सिनेमा जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मेगास्टार चिरंजीवी और जूनियर एनटीआर तक, मशहूर हस्तियों और राजनेताओं ने दिग्गज को श्रद्धांजलि दी है।
अनिल कपूर और चिरंजीवी ने उन्हें अपना गुरू मानते हुए ट्वीटर के माध्यम से विश्वनाथ के निधन पर दुःख प्रकट किया और कहा उनकी मौत से फ़िल्मी जगत को भारी नुकसान हुआ है। साल 2017 में इन्हें फिल्म जगत के सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से नवाज़ा गया था इतना ही नहीं इन्होंने अपने जीवनकाल में पांच नेशनल अवॉर्ड और 10 फिल्मफेयर अपने नाम कर सिनेमा की दुनिया में एक बड़ा नाम हासिल किया है।
कैसा होता है अगर अपनी ज़िंदगी का सबसे खास और यादगार दिन ही दुःख के दिन में बदल जाये, 2 फरवरी जो के. विश्वनाथ से जुड़े हर शख्स के लिए एक खास स्थान रखता है, इस दिन सन् 1980 को इनकी सबसे खास चर्चित फिल्म ‘शंकरभरणम’ रिलीज हुई थी। शुरुआत में थिएटर लगभग खाली थे। हालांकि, पहले हफ्ते के अंत तक सिनेमाघरों में फैंस की भीड़ लगनी शुरू हो गई थी। आखिरकार, शंकरभरणम ने कई जगहों पर रजत जयंती मनाई। वास्तव में यह फिल्म कर्नाटक और केरल के सिनेमाघरों में एक साल से अधिक समय तक चली। शंकरभरणम के. विश्वनाथ की लिखित और निर्देशित एक संगीतमय नाटक है।
शंकरभरणम को भारत के 8वें अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव, ताशकंद फिल्म महोत्सव, एशिया पैसिफिक फिल्म महोत्सव, मास्को अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह और AISFM फिल्म समारोह में दिखाया गया था। के. विश्वनाथ की फिल्म को समाज में उत्थान के लिए जाना जाता है। उनकी फिल्में जाति, रंग, विकलांगता, लैंगिक भेदभाव, कुप्रथा, शराब और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों के मुद्दे को संबोधित करने के लिए जानी जाती हैं।
सिनेमा की दुनिया उन्हें और उनके योगदान को कभी भी भूल नहीं सकती।