डॉ. RMLIMS, लखनऊ में डायग्नोस्टिक और इंटरवेंशनल पल्मोनरी मेडिसिन यूनिट का उद्घाटन | Sleep Apnea, ब्रोंकोस्कोपी और आधुनिक पल्मोनरी सुविधाएँ
Inauguration of Diagnostic and Interventional Pulmonary Medicine Unit at Dr. RMLIMS, Lucknow | Sleep Apnea, Bronchoscopy & Advanced Pulmonary Care

Dr. RMLIMS में “डायग्नोस्टिक और इंटरवेंशनल पल्मोनरी मेडिसिन यूनिट” का उद्घाटन
लखनऊ: डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान (Dr. RMLIMS), लखनऊ के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग ने 21 सितंबर, 2024 को अपने नवनिर्मित “डायग्नोस्टिक और इंटरवेंशनल पल्मोनरी मेडिसिन यूनिट” का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संस्थान के निदेशक प्रोफेसर सी.एम. सिंह थे, और उनके साथ अन्य प्रमुख अतिथियों में डीन डॉ. प्रद्युम्न सिंह, कार्यकारी रजिस्ट्रार डॉ. ज्योत्सना अग्रवाल, और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय कुमार सिंह शामिल थे। इसके अलावा, प्रोफेसर सूर्यकांत, एचओडी, केजीएमयू और प्रोफेसर वेद प्रकाश, एचओडी पल्मोनरी और क्रिटिकल केयर मेडिसिन, केजीएमयू, विशेष आमंत्रित अतिथियों में शामिल थे।
आधुनिक पल्मोनरी सुविधाओं का विस्तार
डॉ. हेमंत कुमार, जो पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख हैं, इस नई यूनिट के प्रभारी हैं। उन्होंने बताया कि इस यूनिट में अत्याधुनिक उपकरण जैसे स्पायरोमेट्री, इम्पल्स ऑसिलॉमेट्री, बॉडी प्लेथिस्मोग्राफी (बॉडी बॉक्स), स्लीप लैब, ब्रोंकोस्कोपी सूट, और थोराकोस्कोपी सूट शामिल हैं। यह अत्याधुनिक केंद्र उन रोगियों को तेजी से निदान और इलाज प्रदान करेगा, जिन्हें गंभीर श्वसन रोगों से जूझना पड़ता है।
मोटापे और स्लीप एपनिया के बढ़ते खतरे
संस्थान के निदेशक प्रो. सी.एम. सिंह ने स्लीप लैब की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा, “मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ रही है, और मोटे रोगियों में खर्राटों की समस्या आम है। लेकिन यह खर्राटे Obstructive Sleep Apnea (OSA) का संकेत हो सकते हैं, जो बिना उपचार के गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।” उन्होंने बताया कि बिना उपचारित OSA हृदय रोग, Resistant Hypertension, और Uncontrolled Diabetes जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है।
प्रोफेसर वेद प्रकाश ने भी OSA और पल्मोनरी बीमारियों के निदान और उपचार के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि फेफड़ों के कैंसर के बढ़ते मामलों में ब्रोंकोस्कोपी जैसी तकनीक से प्रारंभिक निदान में मदद मिल सकती है, जिससे मरीजों का समय पर उपचार संभव हो सकेगा।
कैंसर और टीबी के निदान में ब्रोंकोस्कोपी और थोरोकोस्कोपी की भूमिका
डॉ. हेमंत कुमार ने फेफड़ों के कैंसर और टीबी के निदान में ब्रोंकोस्कोपी और थोरोकोस्कोपी की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “फेफड़ों के कैंसर के 80% मामलों में लक्षण टीबी से मिलते-जुलते होते हैं, जिससे निदान में देरी हो सकती है। ब्रोंकोस्कोपी द्वारा प्रारंभिक अवस्था में फेफड़ों के कैंसर का निदान किया जा सकता है।” इसी प्रकार, थोरोकोस्कोपी का उपयोग प्लूरल इफ्यूजन के निदान के लिए किया जाता है, जिससे कैंसर और टीबी के बीच अंतर समझने में मदद मिलती है।
पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट (PFT) लैब का महत्व
इस अवसर पर निदेशक प्रो. सी.एम. सिंह ने आधुनिक PFT लैब के बारे में बताते हुए कहा, “आधुनिक पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट (PFT) तकनीक से अस्थमा और COPD जैसी बीमारियों का निदान और सही उपचार किया जा सकता है।” उन्होंने Dr. RMLIMS की विशेषज्ञ टीम की सराहना की, जो पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के मरीजों को उच्च स्तरीय सुपर स्पेशियलिटी उपचार प्रदान कर रही है।
विशेषज्ञों का विचार
कार्यक्रम में उपस्थित अन्य विशेषज्ञों में प्रो. सूर्यकांत, प्रो. वेद प्रकाश, डॉ. दीप्ति अग्रवाल, और डॉ. केबी गुप्ता ने पल्मोनरी मेडिसिन क्षेत्र में हो रहे नवीनतम अपडेट्स पर विचार साझा किए। सभी ने इस नए यूनिट की आवश्यकता और इसके महत्व को जोर देकर बताया, खासकर Dr. RMLIMS जैसे प्रमुख संस्थान में।
कार्यक्रम का समापन और धन्यवाद ज्ञापन
कार्यक्रम का समापन डॉ. हेमंत कुमार और उनकी टीम द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें डॉ. अनिकेत रस्तोगी, डॉ. सागर जैन, श्री मनीष और मिस सुमन शामिल थे। इसके बाद मिठाइयों का वितरण किया गया।