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एसटीपी में गिरने से मासूम की मौत: नगर निगम लखनऊ की लापरवाही ने ली जान

Child Falls into Open STP Tank, Govt Silence Sparks Outrage | Lucknow Incident

प्रशासनिक उलझनों और चुप्पी के बीच बुझ गई एक जिंदगी

लखनऊ। गुडंबा थाना क्षेत्र के शंकर पुरवा वार्ड स्थित एक पार्क में सोमवार की शाम उस समय कोहराम मच गया, जब पार्क के कोने में बने 0.5 एमएलडी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के खुले कंक्रीट टैंक में गिरकर एक आठ वर्षीय मासूम की मौत हो गई। हादसे के वक्त मासूम अपने भाई के साथ पार्क में खेल रहा था।

मूल रूप से बिहार निवासी यह परिवार हाल ही में मकान मालिक से विवाद के बाद खुले आसमान के नीचे रात बिताने को मजबूर था। माता-पिता दिहाड़ी मजदूर हैं और उसी दिन काम पर निकले थे, जब यह दर्दनाक घटना हुई।

एसटीपी के चारों ओर सिर्फ 4 फीट ऊंची लोहे की रेलिंग लगी थी, जो सुरक्षा के नाम पर एक मज़ाक साबित हुई। खेलते-खेलते बच्चा रेलिंग पर चढ़ गया और असंतुलित होकर टैंक में गिर गया। सूचना पर पहुंचे दमकल विभाग ने बच्चे को बाहर निकाला और अस्पताल पहुंचाया, लेकिन जीवन की डोर टूट चुकी थी। डॉक्टरों ने देर रात उसे मृत घोषित कर दिया।

पार्षद प्रतिनिधि दीपक तिवारी ने पहले ही चेताया था

पार्षद प्रतिनिधि दीपक तिवारी ने इस हादसे पर आक्रोश जताते हुए कहा,
“जब से मैं पार्षद बना हूं, इस एसटीपी की स्थिति को लेकर कई बार नगर निगम को चेताया है। हर बैठक में मुद्दा उठाया, पत्राचार किया, यहां तक कि सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की मांग की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। आज नतीजा सबके सामने है।”

उन्होंने कहा कि करोड़ो रुपये खर्च कर बनाए गए एसटीपी को ऐसे ही खुला छोड़ देना गैरजिम्मेदाराना रवैया है। “नगर निगम सिर्फ फाइलों में जवाब देता रहा, लेकिन जमीनी हकीकत से मुंह मोड़ा गया।”

जिम्मेदारी तय नहीं, विभागों के बीच टला मामला

हादसे के बाद प्रशासनिक गोलमाल भी सामने आया।
अपर नगर आयुक्त डॉ अरविंद राव ने कहा कि यह एसटीपी जलकल विभाग के अधीन है, जबकि जलकल महाप्रबंधक कुलदीप सिंह ने बयान दिया कि “यह प्लांट अभी हमें हैंडओवर ही नहीं किया गया है।”

इसे भी पढ़ें- विधायक ओ. पी. श्रीवास्तव ने लखनऊ में गंदगी और अतिक्रमण पर जताई नाराजगी, अधिकारियों को दिए कड़े निर्देश

ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है—जब विभाग ही तय नहीं कर पा रहे कि जिम्मेदारी किसकी है, तो सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा कौन निभा रहा था? क्या एक मासूम की जान जाने के बाद ही विभाग जागेंगे?

मीडिया को रोकने की कोशिशें भी हुईं उजागर

हादसे की कवरेज के लिए पहुंचे पत्रकारों को मौके पर फोटोग्राफी और वीडियो लेने से रोक दिया गया।
लक्ष्मी सिक्योरिटी के गार्डों ने मीडिया को एसटीपी के पास जाने से मना कर दिया।
सूत्रों के मुताबिक, नगर निगम प्रशासन नहीं चाहता था कि लापरवाही की तस्वीरें सामने आएं। यह क़दम सच छिपाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।

नगर आयुक्त की चुप्पी ने खड़े किए सवाल

घटना के बाद कई बार नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने न फोन उठाया, न ही कोई बयान दिया।
एक मासूम की मौत के बाद भी शीर्ष अधिकारी की यह चुप्पी खुद एक सवाल बन गई है।

प्रशासन का आश्वासन: मिलेगी मदद, जांच भी होगी

नगर निगम ने परिजनों को दैवीय आपदा राहत कोष से आर्थिक सहायता देने का आश्वासन दिया है।
साथ ही परिवार को रैन बसेरे में ठहराने की व्यवस्था भी की गई है।
प्रशासन ने एक टीम गठित कर जांच कराने की घोषणा की है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न दोहराई जाएं।

लेकिन बड़ा सवाल यही है—क्या अब भी सिस्टम जागेगा या एक और मासूम की बलि चढ़ने का इंतज़ार रहेगा?

मनीष मिश्रा

मनीष मिश्रा राज्य संवाददाता, सूचना इंडिया न्यूज़ चैनल मनीष मिश्रा पिछले 5 वर्षों से सूचना इंडिया न्यूज़ चैनल के साथ राज्य संवाददाता के रूप में कार्यरत हैं, और लखनऊ नगर निगम से संबंधित खबरों को गंभीरता के साथ जनता के समक्ष लाने का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने लखनऊ शहर के नागरिकों के सड़क, पानी, स्ट्रीट लाइट, सीवर और सफाई जैसी महत्वपूर्ण समस्याओं को नगर निगम के अधिकारियों के समक्ष प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया है। उनकी रिपोर्टिंग की बदौलत नगर निगम के संबंधित अधिकारियों ने इन मुद्दों को गंभीरता से लिया और निस्तारण के लिए सक्रिय कदम भी उठाए। मनीष का उद्देश्य हमेशा से जनहित के मुद्दों को उजागर करना और प्रशासन को जिम्मेदार बनाना रहा है, जिसके लिए वह पत्रकारिता में अपनी विशेष पहचान बनाए हुए हैं।

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