World Sepsis Day 2024: सेप्सिस के खिलाफ जागरूकता और लड़ाई
World Sepsis Day 2024: Raising Awareness and Fighting Against Sepsis

विश्व सेप्सिस दिवस: जागरूकता और समाधान पर विशेषज्ञों की राय
लखनऊ, 13 सितंबर 2024: सेप्सिस, जो एक घातक और गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, हर साल लाखों लोगों को प्रभावित करता है। 13 सितंबर को World Sepsis Day 2024 के मौके पर लखनऊ में एक दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें विशेषज्ञों ने सेप्सिस के प्रबंधन, पहचान और इसके घातक परिणामों को रोकने के तरीकों पर चर्चा की।
सेप्सिस के खिलाफ जागरूकता का महत्व: उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और चिकित्सा शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री श्री ब्रजेश पाठक ने इस मौके पर कहा, “सेप्सिस के खिलाफ लड़ाई में समय पर हस्तक्षेप बेहद जरूरी है। स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना और हमारे चिकित्सा पेशेवरों को सशक्त बनाना इसमें अहम भूमिका निभा सकता है।”
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कार्यक्रम में केजीएमयू की कुलपति प्रो. डॉ. सोनिया नित्यानंद ने भी सेप्सिस के प्रबंधन में डॉक्टरों के प्रशिक्षण और संसाधनों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “सेप्सिस से निपटने के लिए चिकित्सकों को हरसंभव ज्ञान और संसाधन दिए जाने चाहिए।”

सम्मेलन में विशेषज्ञों की महत्वपूर्ण बातें:
- सेप्सिस की घटनाएं और कारण: सेप्सिस एक जीवन-घातक स्थिति है, जो मुख्य रूप से संक्रमण के कारण होती है। यह सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है और निमोनिया, मूत्र मार्ग संक्रमण, और सर्जिकल साइट संक्रमण इसके मुख्य कारणों में शामिल हैं। विशेषज्ञों ने इस बात पर भी ध्यान दिया कि कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले मरीजों, डायबिटीज़ और कैंसर के मरीजों में इसका जोखिम अधिक होता है।
- सेप्सिस का ग्लोबल प्रभाव: विश्व स्तर पर, सेप्सिस से प्रति वर्ष 1 करोड़ 10 लाख लोगों की मौत होती है, जो वैश्विक मृत्यु दर का एक बड़ा हिस्सा है। यह वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी सालाना करीब ₹5 लाख 15 हजार करोड़ रुपये का बोझ डालता है।
- भारत में सेप्सिस की स्थिति: भारत में हर साल करीब 30 लाख लोगों की सेप्सिस से मौत हो जाती है। यहां की मृत्यु दर 100,000 लोगों पर 213 है, जो वैश्विक औसत से कहीं अधिक है।
विशेषज्ञों की राय और सिफारिशें: सम्मेलन में उपस्थित रीजेंसी अस्पताल के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. यश जावेरी ने सेप्सिस के शुरुआती इलाज में फ्लूड थेरेपी के महत्व पर प्रकाश डाला। एसजीपीजीआई लखनऊ के प्रो. डॉ. आलोक नाथ ने सेप्टिक शॉक के उपचार में इनोट्रोप्स और वेसोप्रेसर्स के सही उपयोग पर जोर दिया।
पीजीआई चंडीगढ़ के पूर्व प्रोफेसर डॉ. दिगंबर बेहरा ने सेप्सिस की समय पर पहचान और निदान में विभिन्न जांचों की भूमिका को रेखांकित किया।
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सेप्सिस से जुड़ी प्रमुख चिंताएं:
- सेप्सिस से बचे लोगों में लगभग 50 प्रतिशत लोग दीर्घकालिक शारीरिक और मानसिक बीमारियों से पीड़ित होते हैं।
- सेप्सिस के बढ़ते मामलों के बीच, बहु-दवा प्रतिरोधी बैक्टीरिया से संबंधित सेप्सिस एक बड़ी चुनौती बनकर उभर रही है। विशेषज्ञों ने बताया कि भारत में ICU में भर्ती आधे से अधिक मरीज सेप्सिस से पीड़ित होते हैं।
World Sepsis Day 2024 के मौके पर विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि सेप्सिस की शीघ्र पहचान और उपचार जीवन बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। सरकार और स्वास्थ्य संगठनों के सहयोग से सेप्सिस के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इसके खिलाफ लड़ाई को मजबूत करना ही एकमात्र समाधान है।