पी.एम से सम्मानित हुए मथुरा डी.एम को हाई कोर्ट ने जारी किया गैर जमानती वारंट

मथुरा।संयोग कहें या दुर्भाग्य 21 अप्रैल 2022 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मथुरा के जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल को उत्कृष्ट कार्य के लिए दिल्ली बुलाकर अवार्ड देकर सम्मानित किया गया था।वही हाईकोर्ट ने 26 अप्रैल 2022 को गैर जमानती वारंट जारी कर उनको यह सौगात दे डाली। आपको बता दें कि हाईकोर्ट इलाहाबाद ने मथुरा के जिलाधिकारी के खिलाफ न्यायालय की अवज्ञा करने के आरोप में गैर जमानती वारंट जारी किए हैं ।
न्यायालय ने पुलिस को आदेश दिया कि वह 12 मई को जिलाधिकारी को न्यायालय में प्रस्तुत करें।बताया जाता है कि जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल ने कोर्ट के पेंशन के भुगतान के संबंध में दिए गए आदेश को नही माना जिसको लेकर न्यायालय ने नाराजगी व्यक्त की है। न्यायाधीश सरल श्रीवास्तव के अपने आदेश में जिलाधिकारी को कहा है की उन्हें कानून के बुनियादी सिद्धांत का पता होना चाहिए । उन्होंने न्यायालय के आदेश के बावजूद अपना आदेश जारी करके अनियमितता बरती हैं। आदेश की एक कॉपी सीजेएम मथुरा को भेजी गई है।न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि पुरानी पेंशन योजना का लाभ लेने से आवेदक को उनके द्वारा रोका गया है जबकि न्यायालय उस सम्बन्ध में फैसला सुना चुकी थी।11 फरवरी 2022 को रिट कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए नोटिस भी जारी किया गया।उसके बावजूद 18 अप्रैल को जिलाधिकारी नवनीत सिंह ने आवेदक के दावे को खारिज करते हुए आदेश कर दिया कि नियमतिकरण से पहले की गई सेवा का लाभ नही दिया जा सकता।जिलाधिकारी के इस आदेश को हाईकोर्ट ने घोर अवमानना माना है तथा कहा है कि यह विश्वास नही होता कि ऐसा अधिकारी उस इरादे और सरल भाषा को कैसे नही समझ पाया।यह बहुत ही आश्चर्य की बात है न्यायालय के स्पष्ट आदेश के बावजूद कैसे अपना आदेश जारी कर दिया।जिलाधिकारी ने जान-बूझकर जिला मजिस्ट्रेट की शक्तियों का दुरूपयोग किया है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बृजमोहन शर्मा व तीन अन्य के अवमानना आवेदन अपील (सिविल) सं. 2022 का 322 जिसमें मथुरा के जिलाधिकारी नवनीत चहल को विपक्षी पार्टी बनाया गया था।यह रिट वादी ब्रज मोहन शर्मा के अधिवक्ता रोहित कुमार सिंह ने दायक की जिस पर जज ने 26 अप्रैल 22 को अपने आदेश जारी किया।जो जिलाधिकारी मथुरा की ओर से अधिकार का दुरुपयोग और इस न्यायालय के आदेश की अवमानना हैं।




