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Chhath Puja 2024: जानिए तिथियाँ, महत्व और परंपराएँ इस सूर्य उपासना पर्व की

Chhath Puja 2024: Significance, Dates, and Traditions of the Sun Worship Festival

छठ पूजा 2024: तिथियाँ, महत्व, और इतिहास

Chhath Puja 2024 एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो सूर्य देवता को समर्पित है। यह त्योहार विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, और पश्चिम बंगाल राज्यों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह चार दिनों तक चलने वाला पर्व है, जिसमें व्रती (व्रत रखने वाले लोग) सूर्य भगवान और छठी मैया की पूजा करते हैं, ताकि उनकी कृपा से परिवार में सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य बना रहे।

छठ पूजा का इतिहास और महत्व

Know History: छठ पूजा का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा है। माना जाता है कि यह त्योहार महाभारत काल से शुरू हुआ, जब द्रौपदी और पांडवों ने सूर्य भगवान की आराधना की थी। इस पूजा का उल्लेख कई पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है।

Significance: छठ पूजा का महत्व मुख्य रूप से स्वास्थ्य, समृद्धि, और दीर्घायु की कामना से जुड़ा है। यह पूजा सूर्य देवता की उपासना का पर्व है, जो जीवन को ऊर्जा और प्रकाश प्रदान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि सूर्य देवता की कृपा से सभी रोग और कष्ट दूर होते हैं। व्रतधारी पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ इस पर्व का पालन करते हैं, जिससे उनके जीवन में सुख और शांति बनी रहती है।

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छठ पूजा 2024 की तिथियाँ

Chhath Puja 2024 Date: इस वर्ष छठ पूजा 2024 की शुरुआत 05 नवंबर 2024 से होगी और यह 08 नवंबर 2024 तक चलेगी। यह पर्व नहाय खाय, खरना, संध्या अर्घ्य, और उषा अर्घ्य जैसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों के साथ मनाया जाता है।

  1. नहाय खाय (05 नवंबर 2024): छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय से होती है। इस दिन व्रती गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करते हैं और शुद्ध और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। इस दिन केवल एक बार भोजन किया जाता है, जिसमें शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है।
  2. खरना (06 नवंबर 2024): दूसरे दिन, जिसे खरना कहा जाता है, व्रती दिनभर का उपवास करते हैं और शाम को चावल और गुड़ से बना प्रसाद ग्रहण करते हैं। इस भोजन को बहुत शुद्धता और श्रद्धा के साथ बनाया जाता है।
  3. संध्या अर्घ्य (07 नवंबर 2024): तीसरे दिन व्रती डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस दिन विशेष प्रसाद जैसे ठेकुआ, चावल के लड्डू, और फल सूर्य भगवान को अर्पित किए जाते हैं।
  4. उषा अर्घ्य (08 नवंबर 2024): छठ पूजा का अंतिम दिन होता है जब व्रती उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। यह पूजा गंगा किनारे या किसी पवित्र जलाशय के पास की जाती है। इस दिन के बाद व्रत समाप्त होता है और व्रती प्रसाद ग्रहण करते हैं।

छठ पूजा की परंपराएँ

छठ पूजा के दौरान व्रती शुद्ध और सात्विक भोजन का पालन करते हैं। यह पर्व पर्यावरण और प्रकृति से गहराई से जुड़ा हुआ है। लोग मिट्टी के दीये जलाते हैं, बांस की टोकरियों में प्रसाद अर्पित करते हैं, और जलाशयों में खड़े होकर सूर्य भगवान को अर्घ्य देते हैं।

छठ पूजा की अनूठी बात यह है कि इसमें किसी पुजारी की आवश्यकता नहीं होती। लोग स्वयं अपने हाथों से पूजा करते हैं, जो इस पर्व को और भी विशेष बनाता है। यह त्योहार सामाजिक और धार्मिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह परिवार और समाज के सदस्यों को एक साथ लेकर आता है।

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छठ पूजा 2024: इस पर्व के बारे में सबकुछ

Chhath Puja 2024 का आयोजन एक खास प्रकार के अनुशासन और श्रद्धा के साथ किया जाता है। इस त्योहार के दौरान लोग व्रत रखते हैं, जलाशयों के किनारे सूर्य देवता की पूजा करते हैं, और उनसे अपने परिवार की समृद्धि और कल्याण की कामना करते हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक, बल्कि पर्यावरणीय महत्व भी रखता है, क्योंकि इस दौरान जल और सूर्य की पूजा की जाती है।

छठ पूजा 2024 एक ऐसा पर्व है, जो न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का भी अवसर है। इस त्योहार के माध्यम से लोग अपने जीवन में शांति, समृद्धि, और स्वास्थ्य की कामना करते हैं। Chhath Puja 2024 Date को ध्यान में रखते हुए इस पर्व का पालन करें और अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का स्वागत करें।

छठ पूजा की परंपराओं और महत्व को समझते हुए, इस वर्ष आप भी इस पर्व को पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ मनाएं और सूर्य देवता की कृपा प्राप्त करें।

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