24 घंटे की बारिश और चारोतरफ हाहाकार, कौन है जिम्मेदार ? और आगे क्या होने वाला है ?
लखनऊ: 15 सितम्बर की रात से 16 सितम्बर की रात तक लगातार होने वाली बरसात ने क्या गरीब क्या अमीर, क्या आम आदमी क्या नेता और मंत्री, क्या रेहड़ी वाले और क्या नौकरी पेशा और बिज़नेस वाले, क्या बच्चे, क्या महिलाएं, क्या बुजुर्ग और क्या नौजवान, क्या झोपड़ी वाले और क्या बड़ी बड़ी बिल्डिंग और बंगलों में रहने वाले हर किसी के माथे पर चिंता की लकीर खींच गई।
यहाँ तक की योगी जी की सरकार को जो अपनी कार्यशैली के लिए पूरी दुनियां में जानी जाती है, जिन्होंने कोरोना काल का मजबूती से सामना किया और जनसंख्याँ के लिहाज से भारतवर्ष का सबसे बड़ा प्रदेश होने के वावजूद उत्तर प्रदेश सबसे पहले और सबसे कम जानमाल के नुकसान के साथ बाहर निकलने में कामयाब हुआ। आज उन्ही योगी जी को 2 दिन के लिए स्कूल और कॉलेज को बंद करना पड़ा।
कौन है इसका जिम्मेदार ? और आगे क्या होने वाला है ? क्या इसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी शासन प्रशासन और नगर निगम की है ?
अगर पानी निकासी का अरेंजमेंट नहीं होता तो लखनऊ के अधिकांश हिस्सों से मुशलाधार बारिस होने के चंद घंटे के अंदर सारा पानी निकल नहीं गया होता, तो फिर आखिर इसका दोषी कौन है ? इस विषय पर गंभीरता से विचार करने की जरुरत है और यदि इसपर समय रहते विचार नहीं किया गया तो हमारा भविस्य क्या होगा ?
आज जो भी घटित हुआ वह आज के समय की अनियंत्रित विकाश की देन है, कहीं पर कच्ची जमीन रह नहीं गई है, चारो तरफ मकान, रोड बनते जा रहे हैं, पोखरों और गड्ढों को पाट दिया गया है, नाली नालों में रोजाना कूड़ा और पॉलीथिन लोग डाल रहे हैं जरा सा बारिश होने पर सारा पानी गलिओं और रोड पर इकठ्ठा हो रहा है जिसे न तो जमीन सोख रही हैं और नाली, नाले चोक हो जाते हैं।
आज का विकास गाड़ी हो, चलने के लिए सड़क हो, पीने के लिए मिनिरल वाटर हो, इंटरनेट हो, बड़े बड़े स्कूल हों, हॉस्पिटल हों इत्यादि हैं। इनके साइड इफ़ेक्ट क्या होंगे या हो रहे हैं इस पर किसी का ध्यान नहीं है, हम इस तरह से रोगों के प्रति कितने सेंसटिव होते जा रहे हैं, बरसात के अमूल्य पानी को जिसको इस कुदरत ने जिस छेत्र में बारिश होती है उस छेत्र की धरती माँ को वरदान के रूप में दिया है जिसे धरती माँ अपने पुत्रों को भूगर्भ जल के रूप में पीने के लिए लौटाती है परन्तु हम विकाश की अंधी दौड़ में अंधे होकर प्रकृति के इस अमूल्य देन को संग्रहण करने के वजाय बेकार में सडकों और नालिओं में बहा दे रहे हैं और परिणाम स्वरुप जगह जगह रोड पर जल भराव।
यदि हम आज भी प्रकृति के इस अमूल्य देन को हर घर के सामने वाटर हार्वेस्टिंग के जरिये जल संग्रहण करना नहीं सुरु करते और प्लास्टिक का उपयोग बंद नहीं करते हैं तो, हम कितनी भी चौड़ी और गहरी नाली क्यों न बना लें इस समस्या से छुटकारा नहीं मिल पायेगा और बहुत जल्द हम सभी को एक नई मुसीबत, पीने के पानी की कमी से दो चार होना पड़ेगा।