ब्राह्मणों की सरकार से मांग रावण के पुतला दहन पर तत्काल लगाई जाए रोक

मथुरा।हर साल की तरह इस बार भी दशहरे के दिन रावण के पुतले का दहन किया गया। इसी क्रम में जनपद मथुरा के रामलीला ग्राउंड में रावण दहन का कार्यक्रम किया गया तो वही मथुरा के सदर थाना क्षेत्र में भी रावण दहन हुआ। कोविड-19 के बाद पहली बार भव्यता के साथ रावण दहन मेले का आयोजन हुआ है। रावण दहन मेले को सकुशल संपन्न कराने के लिए जिला प्रशासन ने भी पूरा सहयोग किया और यातायात व्यवस्थाओं को सुव्यवस्थित प्रकार से रखा।रावण दहन असत्य पर सत्य की जीत,अज्ञानता पर ज्ञान की विजय का प्रतीक माना जाता है। आज ही के दिन भगवान राम ने लंका के राजा को युद्ध में हराकर माता सीता को रावण की कैद से मुक्त कराया।अब इसके पीछे एक तर्क ये भी है कि रावण तपस्वी,मूर्धन्य,समस्त अस्त्र-शस्त्रों का पारंगत बलशाली सोने की लंका का राजा था।वही मथुरा के कुछ ब्राम्हण समाज के लोगो ने सरकार से मांग की है कि रावण के पुतला दहन पर रोक लगाई जाए क्योंकि रावण इतना विद्वान था कि श्री राम जी ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को राजधर्म की शिक्षा लेने रावण के पास भेजा था।
कहा जाता है कि लंकाधिपति रावण प्रकांड विद्वान तथा राजधर्म का ज्ञाता था।राम ने लक्ष्मण को मृत्यु-शैय्या पर पड़े रावण के पास राजधर्म का रहस्य जानने भेजा था।तब रावण ने कहा ‘मैंने जिंदगी में बहुत बड़ी भूल की है। मेरी तीन योजनाएं थीं- स्वर्ग तक सीढ़ी बनाना,समुद्र का खारा पानी मीठा बनाना और सोने में सुगंध डालना।इन तीनों को कल पर टालता रहा और सीता अपहरण जैसे गलत काम को अंजाम दिया।अतएव सदा ध्यान रहे कि अच्छा काम टालने की बजाए तत्क्षण करना और बुरा काम कल पर टाल देना।रावण का चरित्र भी तारीफ के काबिल है।उसने सीताजी के साथ दुर्व्यवहार या किसी प्रकार का शरीरिक शोषण नहीं किया,जबकि आज गली-मोहल्लों में बलात्कार हो रहे हैं। ऐसे में पुतला रावण का नहीं बल्कि ऐसे अपराधियों का फूंकना चाहिए।आतंकवाद का पुतला जलाया जाना चाहिए जिसके कारण बेकसूर लोगों को मौत के घाट उतारा जा रहा है।भ्रष्टाचार का पुतला जलाना चाहिए जो हमारी जड़ों को खोखला कर रहा है।