दूषित जल से तमाम लोगों की हड्डिया हुई थी टेढ़ी
भूगर्भ जल स्तर का गिरना और दूषित होना अच्छे संकेत नहीं दे रहा है। जलदोहन और रिवर्स बोरिंग के जरिए भूगर्भ में दूषित पानी छोड़ने से स्थिति भयावह होती जा रही है।
एक दशक में जलस्तर 20 से 22 फीट नीचे जा चुका है। जिले के लोग फ्लोराइड का दंश झेल रहे है। इससे तमाम लोगों की हड्ि़या टेढ़ी हो गईं थी। 2021 में आई रिपोर्ट में साफ हो गया कि जिले का पानी आर्सेनिक युक्त है। यही स्थिति रही तो वह दिन दूर नहीं जब बुन्देलखंड की तरह यहां भी पानी के लिए संघर्ष करना पड़ेगा। शहर से गांव तक कई इलाके ऐसे हैं जहां जल दूषित है। जलनिगम ने हैंडपंप पर लाल निशान लगा दिया है। शहरी इलाके में स्थित 30 तालाब में से सिर्फ 4 तालाब ही बचे हैं। अतिक्रमण करके तमाम तालाबों को बेच दिया गया। जो बचे हैं उसपर भी भू माफिया की नजर है। जिले में हर रोज 90 से 95 करोड़ लीटर भूगर्भ जल का दोहन किया जाता है। गांवों में स्थित पुराने तालाबों में धूल उड़ रहा है। झील में भी पानी कम ही बचा है। मनरेगा के तहत करीब 2000 से अधिक तालाब खोदवाए गए लेकिन भूगर्भ जल स्तर में कोई सुधार नहीं आया। हर साल स्थिति भयावह होती जा रही है।