जबलपुर में श्रद्धांजली देकर विभिन्न प्रांतों से आए शहीद परिवारों एव झांसी के स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारीगणों कों किया सम्मानित।
झांसी//लोकेश मिश्रा
झांसी । बुन्देलखण्ड छतरपुर की उर्मिल नदी के तट पर अंग्रेजी सेना की कोलभील रेजीमेंट द्वारा 14 जनवरी 1931 को अहिंसात्मक तरीके से
आन्दोलन कर रहे स्वतंत्रता सेनानियों की सभा पर सैकड़ों निहत्थे के बूढ़े बच्चे महिला पुरुषों पर बर्बरता पूर्वक तरीके से उनके ऊपर गोलियां भून डाला था। उर्मिल नदी का तट आज चरण पादुका मौत के तांडव का आज एतिहासिक गवाह बन कर हमे शहीदों के आंदोलन का स्मरण कराता है ।जिसे आज हम गर्व से उनके संस्मरण आने वाली पीढ़ी को श्रद्धांजलि कार्यक्रमों के माध्यम से देश की स्वतंत्रता के उपरान्त युवा पीढ़ी को संदेश देते रहे है।
कार्यक्रम आयोजक शंकरलाल सोनी छतरपुर ने अपने संबोधन में बताया कि चरण पादुका स्वतंत्रता आन्दोलन में शहीद हुए,सेठ सुन्दर लाल गुप्ता,चिरकू मातो ,गनेशाचमार, धर्म दास कुर्मी, सहित 21 स्वतंत्रता सेनानी शहीद एव सैकड़ों घायल हुए थे। चरण पादुका आन्दोलन के अग्रणी रहे पं रामसहाय तिवारी जी थे।बुन्देलखण्ड में गांधी जी का आगमन बांदा महोबा में रहे। बुन्देली क्रान्तिकारी अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद ,पांडव, फाल ,पन्ना और सतार नदी के तट पर औरछा में कुटिया बनाकर रहे। बुन्देलखण्ड आन्दोलन छतरपुर,पन्ना सागर टीकमगढ़,दमोह दतिया, शिवपुरी हमीरपुर बांदा चरखारी महोवा ललितपुर उरई जालौन झांसी, सहित अनेक भू भाग पर स्वाधीनता आन्दोलन की लड़ाई लड़ी गई थी।
मुख्य अतिथि बाबू विश्व मोहन , विशिष्ठ अतिथि सतीश तिवारी ने कार्यक्रम में उपस्थित सैनानी व उत्तराधिकारी को 1923 महाकौशल जबलपुर के झंडा सत्याग्रह पर विस्तार से जानकारी मे स्वाधीनता आंदोलन जबलपुर संभाग के कटनी की रियासत विजय राघवगढ़ अमर शहीद सरजू प्रसाद की वंशज शारदा सिंह ने अपने किले पर 1857 में हुई प्रथम स्वतंत्रता की लड़ाई एव अंग्रेजों द्वारा किए गए आक्रमण पूर्वजों संघर्ष की गाथा सुनाई। बुंदेलखंड झांसी से गिरजा शंकर राय प्रदेश सचिव ने अपने संबोधन में कहा कि स्वतंत्रता संग्राम की प्रथम दीप शिखा वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई झांसी के बचपन की वीरगाथा में तलवार बाजी घुड़सवारी की शौकीन रही मनु से लक्ष्मीबाई बनी झांसी की रानी ने कहा मै अपनी झांसी नही दूंगी।अंग्रेजों के दांत खट्ठे कर कुल 23 वर्ष की उम्र में वीरगति को प्राप्त हो अपना नाम विश्व में अमर कर गई ।
झांसी से आए गिरिजा शंकर राय ने झांसी की रानी का स्वाधीनता आंदोलन का वर्णन किया।
म प्र स्वंतत्रता संग्राम सैनानी उत्तराधिकारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष विश्व मोहन जबलपुर के मुख्यआथित्व में चरण पादुका सेवा समिति छतरपुर के सचिव शंकरलाल सोनी द्वारा जबलपुर के गांधी भवन में गांधी प्रतिमा के नीचे महाकौशल स्वतंत्रता संग्राम सैनानी एवं उत्तराधिकारियो का महाकौशल स्वाधीनता गौरव सम्मान कार्यक्रम किया गया। कार्यक्रम के शुभारंभ मे गांधी प्रतिमा पर पुष्पा माला अर्पित भावांजलि दी गई।
महाकौशल स्वाधीनता सेनानी गौरव सम्मान सबसे पहले जबलपुर महाकौशल के वरिष्ठ स्वतंत्रता संग्राम सैनानी चंद्रभान राय जी को शाल श्रीफल प्रतीक चिन्ह भेंट करके सम्मानित किया।
साथ ही उत्तराधिकारियों का किया गया।जिसमें प्रमुख रूप से विजयराघवगढ़(कंटनी)राज परिवार शहीद वंशज शारदा सिंह का महाकौशल गौरव सम्मान श्री से सम्मानित किये जाने वालो में महाकौशल जबलपुर राजपरिवार स्वतंत्रता संग्राम सैनानी सेठ गोविंददास जी के वंशज विश्व मोहन जी। उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड झांसी से
गिरजा शंकर राय , सुरेंद्र दुबे विजय राघवगढ़,के जी आजाद,केशव चौरसिया ,मनोज नामदेव ,सुभाष अग्रवाल प्रकाश गोलचर ,शिवमंगल यादव ,ओम प्रकाश शर्मा ,राम रामायण शर्मा, ओमप्रकाश जयसवाल ,अशोक वर्मन जी,निर्मल जैन ,नारायण प्रसाद राय अशोक कुमार गुप्ता, श्यामा सोनी,गिरजाबाई सेन ,राजकुमारी राय ,हुकुमचंद नारद ,सहित विभिन्न प्रांतों से आए स्वतंत्र ता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी को महाकौशल गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया।कार्यक्रम का संचालन मनोज नामदेव ने किया। केशव चौरसिया ने आभार जताया।
गिरजा शंकर राय मीडिया सेल