जंगली देवी मंदिर मे हुआ विशाल भंडारा, हजारों भक्तो ने छका माता का प्रसाद…
कानपुर 16 जनवरी। विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी कानपुर के क्षेत्र किदवई नगर स्थित अति प्राचीन मंदिर माता श्री जंगली देवी मंदिर ट्रस्ट के तत्वावधान मे मकर संक्रांति के उपलक्ष्य मे विशाल भंडारे व खिचड़ी भोज का आयोजन किया गया। यह जानकारी मंदिर ट्रस्ट के महामंत्री राजा पाण्डेय ने दी । उन्होने बताया की माँ जंगली देवी का यह मंदिर ढाई हजार वर्ष प्राचीन है जहाँ माता जगत जननी जानकी( सीता) की तपोस्थली रूप मे विख्यात है । मैया के इस दरबार मे वर्ष पर्यंत अनेको आयोजन होते ही रहते है जिनमे से एक मकर संक्रांति के अवसर पर प्रति वर्ष मंदिर ट्रस्ट द्वारा विशाल खिचड़ी भोज व भंडारे का आयोजन भी किया जाता है । सोमवार को इसी उपलक्ष्य मे प्रातः काल 11 बजे से भव्य खिचड़ी भोज का वितरण किया गया । जिसमे नगर के गणमान्य नागरिकों सहित संत समाज व प्रबुद्ध जन समुदाय ने भी शिरकत् की जिनमे मुख्य रूप से जाजमऊ स्थित बाबा सिद्धनाथ घाट महंत व अखिल भारतीय मठ मंदिर समन्वय समिति के राष्ट्रीय संयोजक बाल योगी अरुण चैतन्य पुरी महाराज , बाबा आनंदेश्वर धाम महंत इक्षा गिरी जी महाराज व अरुण भारती जी महाराज के साथ पंनकी धाम महंत श्री कृष्ण दास जी महाराज , अशोक अवस्थी , विल्हौर विधायक राहुल बच्चा सोनकर ,भाजपा नेता विनोद शुक्ल सहित नगर के वरिष्ठ पत्रकारों अवनीश दीक्षित जी सरस् बाजपाई , राहुल बाजपाई शांतनु त्रिपाठी व समाज सेवियों मे सुनीत त्रिपाठी, भूपेश अवस्थी ,मिथलेश बाजपाई जी मनोजशुक्ला ,पारुल सिंह सुधीर शुक्ल ज्ञानेश मिश्रा, एडवोकेट विक्रम सिंह सहित नगर के कोने कोने से अपने परिवारिजनों संग आये थे। संस्था महामंत्री श्री पाण्डेय ने बताया की माँ की इक्षा कृपा वा आशीर्वाद के चलते देर रात्रि तक यह भंडारा चलता रहा जिसमे लगभग 10 हजार की संख्या मे भक्तों ने भंडारे के प्रसाद को ग्रहण किया।
इस अवसर पर श्री जंगली देवी मंदिर ट्रस्ट के प्रधान पुजारी व प्रबंधक व ज्योतिष गुरु पंडित विजय पाण्डेय ने खिचड़ी पर्व की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया की जब सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब इसे सूर्य देव का संक्रमण काल कहा जाता है, इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है कुछ जगहो पर इसे खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है ज्योतिष गुरु ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति की खिचड़ी चावल, काली दाल, हल्दी, मटर और हरी सब्जियों का विशेष महत्व है। खिचड़ी के चावल से चंद्रमा और शुक्र की शांति का महत्व है। काली दाल से शनि, राहू और केतु का व हल्दी से बृहस्पति का संबंध है और हरी सब्जियों से बुध का संबंध है । वहीं जब खिचड़ी पकती है तो उसकी गर्माहट का संबंध मंगल और सूर्य देव से जोड़ती है इस प्रकार 9 ग्रहो का संबंध खिचड़ी से जुड़ जाता है इसके अलावा इसी दिन महाभारत के समय भीष्म पितामह ने सूर्य उत्तरायण होने पर ही अपने शरीर का त्याग किया था, इसी दिन उनका श्राद्ध कर्म तर्पण किया गया था. मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने और दान करने का विशेष महत्व है । इसलिए मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने और दान का महत्व अधिक बढ़ जाता है।
इस अवसर पर संस्था के सहयोगी गणो मे मुख्य रूप से कोषाध्यक्ष मनोज कपूर , मंत्री कैलाश पाल , उपमंत्री प्रेम स्वरूप महेश्वरी,कार्यवाहक अध्यक्ष कृष्ण स्वरूप मिश्रा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष , अशोक बाजपाई उपाध्यक्ष, ज्ञान प्रकाश पाण्डेय सदस्य रामचन्द्र गुप्ता , दिनेश चंद्र त्रिपाठी ,सुमेश बाजपाई , रमेश कुमार तिवारी ट्रस्टी देवराज जोशी अनिल पाण्डेय संस्था के सदस्य गणों में मुख्य रूप से रामचंद्र गुप्ता, सुनीत त्रिपाठी, ट्रस्टी डा.मनोज दुबे, राजकुमार अवस्थी ,नीलम शुक्ला पंडित कमल मिश्रा सहित हजारों की संख्या में भक्त गण मौजूद रहे
दैनिक सच की गंगा न्यूज़ पेपर से मण्डल ब्यूरो राजेश निगम की रिपोर्ट
मकर संक्रांति पर हुआ विशाल खिचड़ी भोज का आयोजन….